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सनातन धर्म की विलुप्त होती सबसे प्राचीन कला संस्कृति का पुनर्जागरण करने के उद्देश्य से चल रहा रामलीला का मंचन

सनातन धर्म की विलुप्त होती सबसे प्राचीन कला संस्कृति का पुनर्जागरण करने के उद्देश्य से चल रहा रामलीला का मंचन बढ़ती ठण्ड में श्रद्धालु रामायण के प्रेरणादायी प्रसंगों के मंचन को एकटक होकर निहार रहे, 1 दिसंबर को होगा समापन
देवास। आधुनिक टेलीविजन, इंटरनेट के बदलते युग में सच्चे पात्रों के रोचक अभिनय एवं संवादों से भरी पुरी रामलीला का प्रचलन कम होता जा रहा है। सनातन धर्म की विलुप्त होती सबसे प्राचीन कला संस्कृति का पुनर्जागरण करने के उद्देश्य से धर्म प्रचारक रामायण रामलीला मंडल द्वारा 11 दिवसीय रामलीला का मंचन किया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल अग्रवाल ने बताया कि 21 नवम्बर से चल रही रामलीला का मंचन 1 दिसम्बर को पूर्ण होगा। रामलीला मंडल के किशोर, युवा, प्रौढ़ सभी पात्र कंठस्थ दोहो, चौपाईयों, संवादों, गायन शैली एवं अभिनय से उपस्थित धर्मालू दर्शकों को भक्तिरस से भावविभोर कर रहे है। बीती रविवार की रात्रि रामलीला में श्री राम शबरी भेंट, श्री राम सुग्रीव भेंट, मित्रता और श्री हनुमान जी का आगमन के प्रसंग का मंचन को दर्शक एकटक होकर निहारते रहे। रामलीला को बढ़ावा देने के उद्वेश्य से अनेक गणमान्य जन मुक्तहस्त से दान दक्षिणा भी प्रदान कर रहे है। रामलीला के साथ श्रद्धालु साईं मंदिर में सिद्धिविनायक गणपति भगवान की प्रतिमा, शनी सिंगापुर के आधार पर बना शनि मंदिर का भी दर्शनलाभ ले रहे है। हर बुधवार को गणपति जी की आरती एवं शनिवार को भगवान शनिदेव की विशेष आरती एवं प्रसादी का आयोजन होता है। समिति ने समस्त श्रद्धालुजनों से अधिक से अधिक संख्या में रामलीला महोत्सव को सफल बनाने की अपील की है। 

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