के.पी.महाविद्यालय में भारतीय भाषा उत्सव एवं अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन संपन्न 
देवास। 11 दिसम्बर को प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारत सरकार एवं म.प्र. शासन के आदेशानुसार महाकवि श्री सुब्रमण्यम भारती की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय राजभाषा उत्सव एवं गीता जयंती के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन संस्कार हॉल में रखा गया।
प्राचार्य डॉॅ. एस.पी.एस. राणा की अध्यक्षता में तथा डॉ. भारतसिंह गोयल प्राचार्य कन्या महाविद्यालय के विशेष आतिथ्य में संपन्न कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. आर.एस.अनारे, डॉ. दीप्ति ढवले, डॉ. जया गुरनानी, डॉ. लीना दुबे, प्रो निधि नामदेव ने मंच को गरिमा प्रदान की। मंचासीन विद्वतजन द्वारा सरस्वती वंदन एवं अर्चन से कार्यक्रम का आरंभ किया गया। सदन में उपस्थित समस्त सुधिजन का स्वागत शब्द सुमन से किया गया। विशेष अतिथि डॉ. गोयल ने भाषा को सम्प्रेषण का सशक्त माध्यम कहा। भारत बहुभाषी देश है और भारतीय भाषा उत्सव हमारी सांस्कृतिक विशेेषता अनेकता में एकता को पोषित करता है। गीता जयंती के संदर्भ में आपने कहा कि गीता ग्रंथ सभी शास़्त्रों का सार है जो हम सबमें सकारात्मक उर्जा को विकसित करता है।
विद्यार्थी वर्ग से आयुष देवड़ा ने भारतीय भाषा उत्सव पर अपने विचार रखे और भाषा उत्सव के उद्देश्य के साथ ही महाकवि सुब्रमण्यम भारती के व्यक्तित्व एवं साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डाला। सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. अनारे ने संस्कृत भाषा केे प्रति विद्यार्थियों के कम होते रूझान पर चिंता व्यक्त की और कहा कि यदि हम इस दिशा में गतिशील नहीं होंगे तो आने वाले समय में विदेशों से व्यक्ति भारत आकर संस्कृत पढ़ाएंगे। गीता महोत्सव के संदर्भ में डॉ. लीना दुबे ने कहा कि गीता रूपी ज्ञान गंगोत्री में डुबकी लगाकर अज्ञानी व्यक्ति भी सत्यज्ञान को प्राप्त करता है। गीता ग्रंथ चरित्र का सबसे बड़ा और उत्तम शास्त्र है। प्रो. निधि नामदेव ने प्रबंधन के क्षेत्र में गीता की निर्विवाद महत्ता को सबके समक्ष रखा और कहा कि गीता को सुनकर नहीं अपितु पढ़कर, गुनकर आचरण में उतारना चाहिए। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. राणा नेे कहा कि विद्यार्थियों को विभिन्न भाषाओं को सीखने की लगन होना चाहिये। डॉ. राणा ने पंजाबी भाषा और साहित्य की बानगी भी प्रस्तुत की और कहा कि अनुवाद के माध्यम से हम विभिन्न भाषाओं के ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। गीता ज्ञान विद्यार्थियों में आत्म जागरूकता और आध्यात्मिक चेतना विकसित करता है। कार्याक्रम में डॉ. अंशु गोयल, अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष गीता परिवार के वीडियो के प्रसारण से प्राध्यापक एवं विद्यार्थीगण लाभांवित हुए। समस्त प्राध्यापकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को अतिरिक्त गरिमा प्रदान की। विद्यार्थियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी ने आयोजन को सफल बनाया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. ममता झाला नेे किया तथा आभार डॉ. सत्यम सोनी ने माना।
विद्यार्थी वर्ग से आयुष देवड़ा ने भारतीय भाषा उत्सव पर अपने विचार रखे और भाषा उत्सव के उद्देश्य के साथ ही महाकवि सुब्रमण्यम भारती के व्यक्तित्व एवं साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डाला। सभी भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. अनारे ने संस्कृत भाषा केे प्रति विद्यार्थियों के कम होते रूझान पर चिंता व्यक्त की और कहा कि यदि हम इस दिशा में गतिशील नहीं होंगे तो आने वाले समय में विदेशों से व्यक्ति भारत आकर संस्कृत पढ़ाएंगे। गीता महोत्सव के संदर्भ में डॉ. लीना दुबे ने कहा कि गीता रूपी ज्ञान गंगोत्री में डुबकी लगाकर अज्ञानी व्यक्ति भी सत्यज्ञान को प्राप्त करता है। गीता ग्रंथ चरित्र का सबसे बड़ा और उत्तम शास्त्र है। प्रो. निधि नामदेव ने प्रबंधन के क्षेत्र में गीता की निर्विवाद महत्ता को सबके समक्ष रखा और कहा कि गीता को सुनकर नहीं अपितु पढ़कर, गुनकर आचरण में उतारना चाहिए। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. राणा नेे कहा कि विद्यार्थियों को विभिन्न भाषाओं को सीखने की लगन होना चाहिये। डॉ. राणा ने पंजाबी भाषा और साहित्य की बानगी भी प्रस्तुत की और कहा कि अनुवाद के माध्यम से हम विभिन्न भाषाओं के ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। गीता ज्ञान विद्यार्थियों में आत्म जागरूकता और आध्यात्मिक चेतना विकसित करता है। कार्याक्रम में डॉ. अंशु गोयल, अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष गीता परिवार के वीडियो के प्रसारण से प्राध्यापक एवं विद्यार्थीगण लाभांवित हुए। समस्त प्राध्यापकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को अतिरिक्त गरिमा प्रदान की। विद्यार्थियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी ने आयोजन को सफल बनाया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. ममता झाला नेे किया तथा आभार डॉ. सत्यम सोनी ने माना।
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