देवास :देवी श्री अहिल्या स्मृति सेवा संस्थान, महेश्वर के तत्वावधान में "अनुरनन प्रतिध्वनि" साहित्यिक आभासी मंच पर एक गरिमामय शोध पत्र वाचन कार्यक्रम का आयोजन ऑन लाइन यूट्यूब पर किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय रहा —
"पुण्यश्लोका लोकमाता अहिल्याबाई: प्राचीन शासन से आधुनिक दृष्टिकोण तक का सेतु",जिसमें देशभर के प्रबुद्ध वक्ताओं व शोधकर्ताओं ने सहभागिता की। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. वर्षा महेश बम्बई रही, जिन्होंने अहिल्याबाई की शासन शैली,नारी नेतृत्व और प्राचीन प्रशासनिक मूल्यों को आधुनिक प्रशासन से जोड़ते हुए सारगर्भित वक्तव्य दिया। मुख्य अतिथि विनिता धर्म ने अपने उद्बोधन में लोकमाता की न्यायप्रियता एवं संवेदनशील शासन को नारी चेतना के लिए प्रेरणास्रोत बताया कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट जितेन्द्र नेगी ने की,जिन्होंने अहिल्याबाई के विधिक एवं सामाजिक न्याय की व्याख्या की।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से विद्वानों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए,जिनमें प्रमुख रूप से-देवास के युवा लेखक- साहित्यकार और स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर अमित राव पवार,के शोध पत्र देवी अहिल्याबाई के व्यवसाय व्यवस्था पर प्रस्तुत पत्र को भी सम्मिलित किया गया। सभी वक्ताओं ने अपने शोधपत्रों के माध्यम से अहिल्याबाई की शासन दृष्टि को समकालीन संदर्भों से जोड़ते हुए सार्थक विमर्श प्रस्तुत किया।
श्री पवार ने बताया कि देवी अहिल्याबाई होलकर जी का यह त्रिशताब्दि जन्मोत्सव वर्ष चल रहा है। इस हेतु संस्थान ने सम्पूर्ण देश से अहिल्या माता पर शोध पत्र प्रतियोगिता संस्थान द्वारा आयोजित की गई थी।
पूर्व में यह कार्यक्रम प्रत्येश करने की योजना थी,किसी कारण नही हो पाया,अब यह प्रत्येस कार्यक्रम अगस्त में करने की योजना है जिसमे चयनित अभ्यर्थियों को मंच के माध्यम से सम्मानित किया जाएगा।
कार्यक्रम की रूपरेखा और संचालन आयोजन निदेशिका स्वाति सिंह राठौर के संयोजन में संपन्न हुआ। इस शोध-गोष्ठी ने यह सिद्ध किया कि लोकमाता अहिल्याबाई न केवल एक कुशल शासिका थीं,अपितु आज के प्रशासनिक और सामाजिक नेतृत्व के लिए एक स्थायी प्रेरणा हैं।
0 Comments