गणित का प्रत्येक सूत्र ईश्वर की आराधना का मंत्र है- प्रदीप जैन
जयहिन्द सखी मंडल ने गणित दिवस पर शिक्षकों को किया सम्मानित
देवास। गणित एक भाषा है विषय नहीं। गणित को विषय मानकर पढ़ने से ही वह हमारे लिए बोझिल महसूस होता है। गणित ध्यान और एकाग्रता से की गई तपस्या का फल है। यदि हम महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के समग्र जीवन और उनके कार्यों का अवलोकन करें तो कुछ तथ्य स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। जैसे शिक्षा और संस्कारों का उद्गम गणित है। गणित प्रकृति का अमूल्य उपहार है। गणित का प्रत्येक सूत्र ईश्वर की आराधना का मंत्र है। श्रीनिवास रामानुजन बचपन से ही गणित की साधना में लीन हो गए थे। अल्पायु में त्रिकोणमिति में महारथ हासिल हो गई थी। स्वयं छोटी कक्षा में पढ़ते थे पर बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों को गणित पढ़ाते थे। रामानुजन द्वारा दिए गए सूत्रों से पाई के मान की गणना सरल हो गई। आपने उच्च स्तरीय गणित पर अनुसंधान कर अनेक सूत्र व समीकरण बनाए। आपने 1729 की खोज की जो एक जादुई संख्या है। यह कई संख्याओ के धनों का योग है। श्रीनिवास रामानुजन के बनाए गए नोट्स पर कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इन्हीं की दी हुई शिक्षा के अनुसार हमें बच्चों के साथ गणित की मूलभूत संक्रियाओं पर मेहनत करना है। संक्रियाएं, सूत्र और समीकरण गणित का मूल आधार है। जय हिन्द सखी मंडल द्वारा गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाते हुए महारानी राधाबाई शा.क.उ.मा.वि. देवास में आयोजित शहर में गणित पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उक्त विचार व्यक्त करते हुए डी.पी.सी. प्रदीप जैन ने सम्मानित हुए शिक्षकों से कहा कि गणित शिक्षक की जिम्मेदारी तुलनात्मक रूप से अधिक होती है। सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य राजश्री काले ने कहा कि जब बच्चे को सवाल हल करने में कठिनाई आती है तोे उसे अरूचि उत्पन्न होने लगती हैं हमें बच्चों को इस अरूचि से बचाना है ओर कठिन अवधारणाओं को समझने में सहायता करना चाहिए। गणित व्यापक नहीं व्यक्तिगत रूप से समझाने पर जल्दी समझ में आता है। जिले के मास्टर ट्रेनर राजेन्द्र वर्मा ने कहा कि सवाल हल करते समय उपयोग किए गए सूत्र को साइड में अवश्य लिखना चाहिए। जब विद्यार्थी सूत्रों को बार बार लिखेगा तो वे सहज ही याद हो जाएंगे। शासकीय माध्यमिक और हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में गणित विषय पढ़ाने वाले आदिल पठान, पवन पटेल, नीरज कानूनगोे, राजेश चावड़ा, बिंदु मांजरेकर, राजेश निगम, साजिदा परवीन, संतोष परमार, दीपिका जैन, रविन्द्र नरवरे, नीना शुक्ला, विक्रमसिंह अंगोरिया, संदीप पटेल, फराह कुरेशी, दिलीप पांचाल, महेश झरोखा, प्रदीप कुमार भाटी, राजकुमार रघुवंशी, प्रीतिबाला वर्मा, माधुरी कोरी, सविता अवस्थी, वंदना देशमुख, जिज्ञासा भावसार, मिथलेश तिवारी, किशोर कुमार वर्मा, ममता नरोलिया, यास्मीन शेख, दीप्ति शास्त्री, डॉ. जुगल किशोर राठौर सहित लगभग 45 शिक्षक शिक्षिकाओं को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया । जय हिन्द सखी मंडल के उद्देश्यों को स्नेहा ठाकुर द्वारा बताया गया। कार्यक्रम की भूमिका तनुश्री विश्वकर्मा ने प्रस्तुत की। संचालन शबाना शाह एवं श्रुति विश्वकर्मा ने किया। कार्यक्रम की संकल्पना रविन्द्र वर्मा, रूपचंद यादव और मुबारिक खान की थी। व्यवस्था संयोजन अनुभव मिश्रा, रामगोपाल मीणा, ब्रजेश राठौर, विनय मिश्रा, अय्युब खान, सुभाष चौहान और सुरेश भेवंदिया का था।
जयहिन्द सखी मंडल ने गणित दिवस पर शिक्षकों को किया सम्मानित
देवास। गणित एक भाषा है विषय नहीं। गणित को विषय मानकर पढ़ने से ही वह हमारे लिए बोझिल महसूस होता है। गणित ध्यान और एकाग्रता से की गई तपस्या का फल है। यदि हम महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के समग्र जीवन और उनके कार्यों का अवलोकन करें तो कुछ तथ्य स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। जैसे शिक्षा और संस्कारों का उद्गम गणित है। गणित प्रकृति का अमूल्य उपहार है। गणित का प्रत्येक सूत्र ईश्वर की आराधना का मंत्र है। श्रीनिवास रामानुजन बचपन से ही गणित की साधना में लीन हो गए थे। अल्पायु में त्रिकोणमिति में महारथ हासिल हो गई थी। स्वयं छोटी कक्षा में पढ़ते थे पर बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों को गणित पढ़ाते थे। रामानुजन द्वारा दिए गए सूत्रों से पाई के मान की गणना सरल हो गई। आपने उच्च स्तरीय गणित पर अनुसंधान कर अनेक सूत्र व समीकरण बनाए। आपने 1729 की खोज की जो एक जादुई संख्या है। यह कई संख्याओ के धनों का योग है। श्रीनिवास रामानुजन के बनाए गए नोट्स पर कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इन्हीं की दी हुई शिक्षा के अनुसार हमें बच्चों के साथ गणित की मूलभूत संक्रियाओं पर मेहनत करना है। संक्रियाएं, सूत्र और समीकरण गणित का मूल आधार है। जय हिन्द सखी मंडल द्वारा गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाते हुए महारानी राधाबाई शा.क.उ.मा.वि. देवास में आयोजित शहर में गणित पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उक्त विचार व्यक्त करते हुए डी.पी.सी. प्रदीप जैन ने सम्मानित हुए शिक्षकों से कहा कि गणित शिक्षक की जिम्मेदारी तुलनात्मक रूप से अधिक होती है। सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य राजश्री काले ने कहा कि जब बच्चे को सवाल हल करने में कठिनाई आती है तोे उसे अरूचि उत्पन्न होने लगती हैं हमें बच्चों को इस अरूचि से बचाना है ओर कठिन अवधारणाओं को समझने में सहायता करना चाहिए। गणित व्यापक नहीं व्यक्तिगत रूप से समझाने पर जल्दी समझ में आता है। जिले के मास्टर ट्रेनर राजेन्द्र वर्मा ने कहा कि सवाल हल करते समय उपयोग किए गए सूत्र को साइड में अवश्य लिखना चाहिए। जब विद्यार्थी सूत्रों को बार बार लिखेगा तो वे सहज ही याद हो जाएंगे। शासकीय माध्यमिक और हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में गणित विषय पढ़ाने वाले आदिल पठान, पवन पटेल, नीरज कानूनगोे, राजेश चावड़ा, बिंदु मांजरेकर, राजेश निगम, साजिदा परवीन, संतोष परमार, दीपिका जैन, रविन्द्र नरवरे, नीना शुक्ला, विक्रमसिंह अंगोरिया, संदीप पटेल, फराह कुरेशी, दिलीप पांचाल, महेश झरोखा, प्रदीप कुमार भाटी, राजकुमार रघुवंशी, प्रीतिबाला वर्मा, माधुरी कोरी, सविता अवस्थी, वंदना देशमुख, जिज्ञासा भावसार, मिथलेश तिवारी, किशोर कुमार वर्मा, ममता नरोलिया, यास्मीन शेख, दीप्ति शास्त्री, डॉ. जुगल किशोर राठौर सहित लगभग 45 शिक्षक शिक्षिकाओं को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया । जय हिन्द सखी मंडल के उद्देश्यों को स्नेहा ठाकुर द्वारा बताया गया। कार्यक्रम की भूमिका तनुश्री विश्वकर्मा ने प्रस्तुत की। संचालन शबाना शाह एवं श्रुति विश्वकर्मा ने किया। कार्यक्रम की संकल्पना रविन्द्र वर्मा, रूपचंद यादव और मुबारिक खान की थी। व्यवस्था संयोजन अनुभव मिश्रा, रामगोपाल मीणा, ब्रजेश राठौर, विनय मिश्रा, अय्युब खान, सुभाष चौहान और सुरेश भेवंदिया का था।
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