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महारानी चिमनाबाई स्कूल में समर कैम्प आयुर्वेद जीवन जीने की कला का नाम है .. प्रकाशसिंह

महारानी चिमनाबाई स्कूल में समर कैम्प 
आयुर्वेद जीवन जीने की कला का नाम है .. प्रकाशसिंह 
देवास: आयुर्वेद जीवन जीने की कला का नाम है यह विचार प्रकट किये मोटीवेटर स्पीकर प्रकाशसिंह ने, वे महारानी चिमनाबाई स्कूल में आयोजित समर केंप में मुख्य वक्ता के रूप में ‘आयुर्वेद और हम’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे । मानव जीवन में योग एवं आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वक्ता प्रकाशसिंह ने बड़े ही रोचक व ज्ञानवर्धक रूप से छात्राओं को आयुर्वेद की महत्ता बताई । उन्होने विभिन्न औषधि पौधों जैसे नीम, तुलसी, गिलोय, अष्वगंधा, हड़जोड़, पत्थरचट्टा आदि का प्रत्यक्ष परिचय कराया । महर्षि बागभट्ट के सूत्रों को बताते हुए उन्होने कहा कि ‘भोजन अंते विषमवारी’ अर्थात भोजन के पश्चात पानी पीना विष पीने के बराबर है । हमें भोजन के कम से कम 1 घंटे बाद पानी पीना चाहिए । उन्होने विज्ञान के सिद्वांतो और आयुर्वेद को उससे जोड़ते हुए बड़े ही सरल तरीके से छात्राओं को विरूद्ध आहार क्या है ? किस मौसम में कौन सी वस्तुए खाना चाहिए व कौन सी नहीं । उन्होने छात्रों के लिए विशेष आवश्यकता वाले भोजन, संतुलित भोजन, आर्गनिक खेती, फास्ट फुड के दुुुुुष्प्रभाव पर विस्तार से समझाया ।  
मुख्य अतिथि देवास जिला योग आयोग के अध्यक्ष अनंत जोशी ने योग, प्राणायाम का विद्यार्थी जीवन में क्या महत्व है इस पर अपने विचार व्यक्त करें  विशेष अतिथि के रूप मुम्बई चेम्बुर की जिला योग प्रभारी श्रीमती अर्पणा जाशी जो कि टीआई भी है उन्होने योग के साथ सेल्फ डिफेंस व स्व अनुशासन पर भी बात की । कार्यक्रम का संचालन मीनल राज भदौरिया ने किया व आभार संजय जोशी ने माना । 
उल्लेखनीय है कि महारानी चिमनाबाई क.उ.मा.वि. देवास को म.प्र. राज्य ओपन बोर्ड से ई.एफ.ए. स्कूल का दर्जा प्राप्त हुआ है उसके अंतर्गत विद्यालय में चौसठ कलाओं पर आधारित समर केंप का आयोजन किया जा रहा है । इसमें प्रतिदिन किसी एक कला पर समरकेंप के माध्यम से छात्राओं का स्कील डेवलपमेंट किया जा रहा है । प्राचार्य रूचि व्यास ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य स्तर से प्राप्त 64 कलाओं में विद्यालय ने 40 कलाओं का चयन किया जिस पर विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित कर रोचक एवं शिक्षाप्रद गतिविधि के माध्यम से छात्राओं की दक्षता बढ़ाई जा रही है । गत वर्ष भी इस तरह की गतिविधियां आयोजित की गई थी । 
ये है सौसठ कलाओं में से कुछ कलाएं जिन पर राज्य के 52 ई.एफ.ए. स्कूलो में समर केंप के माध्यम से स्कील डेवलपमेंट प्रशिक्षण चल रहा है । 
फायर सेफ्टी, सेल्फ डिफेन्स, योग आयुर्वेद, कम्प्यूटर, कुकिंग, क्राफ्ट एण्ड ड्राइंग, क्ले आर्ट, मार्षल आर्ट, पर्यटन, वेस्ट मैनेजमेंट, पर्सनालिटी डेवलपमेंट,पोलिस क्राईम इंवेस्टीगेशन, रंगोली आर्ट, इलेक्ट्रीक एण्ड इलेक्ट्रानिक्स, चाईल्ड सेफ्टी, साइबर क्राइम, मीडिया-सोशल मीडिया, थियेटर, फोक डांस, सिंगिंग, इस्टूमेंट, स्टोरी टेलिंग, गार्डनिंग, ब्यूटी एण्ड वेलनेस, फशन डिजाइनिंग आदि ।

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