पर्यावरण संरक्षण के साथ बच्चे बनेंगे स्वावलंबी,नवाचार,शिक्षक ने बच्चों को दिया हुनर,नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन
देवास। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ विद्यालय के बच्चे एवं उनके परिवार के सदस्य स्वावलंबी बन रहे हैं। ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चे अपने परिवार के सदस्यों के साथ छोटे गमले तैयार कर रहे हैं जिनका उपयोग बुके (गुलदस्ते) के स्थान पर किया जा सकेगा।
शासकीय माध्यमिक विद्यालय महाकाल कॉलोनी के प्रधानाध्यापक महेश सोनी ने शिक्षा के साथ-साथ बच्चों तथा उनके परिवार के सदस्यों को स्वावलंबी बनाने की अनूठी पहल की है। श्री सोनी के मार्गदर्शन में बच्चे गमले तैयार कर रहे हैं ,जो गुलदस्ते से भी कम कीमत में उपलब्ध रहेंगे।
यह प्रयास पर्यावरण के अनुकूल तो होगा ही बच्चों में हुनर भी पैदा करेगा , बच्चे स्वावलंबी बनेंगे और अपने आगे की पढ़ाई का खर्च स्वयं निकाल सकेंगे।जो व्यक्ति एक गमला खरीदेगा उससे उस बच्चे को दो कॉपी की राशि प्राप्त हो जाएगी बच्चे जो गमले तैयार कर रहे हैं ,जो गुलदस्ते से भी कम कीमत में उपलब्ध रहेंगे।
पौधे,मिट्टी और खाद विद्यालय की नर्सरी में ही तैयार किए गए हैं गमले जनसहयोग से उपलब्ध कराए गए हैं। विद्यालय में जापानी पद्धति से बिना गमले के पौधे उगाना भी बच्चों को सिखाया गया है जिसे कोकेडामा कहते हैं।
घर एवं कार्यालय की सजावट के लिए,शादी समारोह ,जन्मदिन सालगिरह आदि खुशी के अवसरों पर बुके के स्थान पर इन गमलों को दिया जासकेगा। बुके दो या तीन दिन में खराब हो जाते हैं लेकिन यह गमले कई वर्षों तक उसे खुशी के अवसर को याद दिलाते रहेंगे इस प्रकार पर्यावरण संरक्षण भी होगा। शिविर में गमले निर्माण के साथ-साथ अन्य रोजगार की जानकारी जैसे बैलून डेकोरेशन, रंगोली आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
श्री सोनी ने बताया कि इस संबंध में सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न एनजीओ से भी चर्चा चल रही है। मार्केटिंग के लिए सभी शासकीय कार्यालय,निजी कंपनियों के ऑफिस,शासकीय एवं अशासकीय स्कूल, ,फेसबुक इंस्टाग्राम व्हाट्सएप पर और ऑनलाइन प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
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