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सर्पदंश से बचाव एवं उपचार के लिये, स्वास्थ्य विभाग देवास द्वारा एडवाइजरी जारी ,, सर्पदंश के सर्वाधिक मामले बरसात के मौसम में आते हैं सभी सतर्क रहें: सीएमएचओ बेक

सर्पदंश से बचाव एवं उपचार के लिये,स्वास्थ्य विभाग देवास द्वारा एडवाइजरी जारी
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सर्पदंश के सर्वाधिक मामले बरसात के मौसम में आते हैं सभी सतर्क रहें: सीएमएचओ बेक
      देवास: कलेक्टर श्री ऋतुराज सिंह के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सरोजनी जेम्स बेक ने सर्पदंश के बचाव व उपचार संबंधी  एडवाइजरी जारी की है उन्होंने बताया की सांप के काटने के बाद काटने की जगह पर दर्द होना, सूजन आना, फफोले होना, खून का बहना, आंखो एवं मुह से खून आना, आखों की पलके नही खुलना, बेहोशी, उल्टी एवं मलद्वारा से खून आना, त्वचा का रंग बदलना, पसीना आना या लार टपकना, सिरदर्द, चक्कर आना या आंखो में धुंधलापन आना, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण देखने को मिलते है। इस प्रकार के लक्षण होने पर प्रोटोकॉल अनुसार शासकीय प्राथमिक, सामुदायिक, सिविल अस्पताल एवं जिला चिकित्सालय में मरीज का तुरंत उपचार किया जाना सुनिश्चित करें। सांप काटने के तुरंत बाद पीडि़त को धीरे-धीरे सांप से दूर ले जाएं, पीड़ित को आश्वस्त करें और दिलासा दें, पीड़ित को दोड़ने या तेज चलने न दें, पीने या खाने के लिए कुछ भी न दें, सर्प के काटे स्थान पर सूजन आ सकती है इसलिए जूता, अंगूठी, कलाई घड़ी, ब्रेसलेट या टाइट कपड़ो को जल्द उतार देने की कोशिश करना चाहिए। काटे हुए अंग का हिलाते न हुए उसे स्थिर रखने के लिए अखबार के रोल या लकड़ी की छड़ी या स्टील के रुलर का उपयोग करें, किसी नुकीली चीज से सर्पदंश हुए हिस्से को न काटें, मुंह से जहर चूसने की कोशिश न करें।
         सीएमएचओ डॉ बेक ने बताया कि सर्पदंश के मरीज को 100 मिनिट के भीतर अस्पताल में उचित उपचार करने से मरीज की 100 प्रतिशत बचने की संभावना होती है। सर्पदंश के मरीज को बिना समय गवाएं नजदीकी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जाकर उपचार कराया जाना चाहिए। 70 प्रतिशन सर्प जहरीले नहीं होते हैं, 30 प्रतिशन सर्प जो जहरीले होते है उनके काटने पर 50 प्रतिशत ही जहर शरीर में जाता है। उन्‍होंने बताया कि सर्पदंश के सर्वाधिक मामले बरसात के मौसम में आते हैं सभी सतर्क रहें खास तौर से इस मौसम में खेतों में काम करने वाले किसान पूरे जूते पहने साथ में बैटरी रखें। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर जिले के नजदीकी स्वास्थ्य संस्था पीएचसी, सीएचसी, सीएच एवं जिला चिकित्सालय में चिकित्सीय परामर्श के साथ उपचार प्राप्त करें। सभी संस्थाओं में पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध है।

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