पचास साल पुराने कुएँ को मिला जीवनदान,,
अमृत संचय अभियान से पुनर्जीवित हुआ कुआँ,डगवेल रिचार्ज तकनीक से कुआँ होगा लबालब,,
देवास: अमृत संचय अभियान की कोशिशें अब ज़मीन पर साकार दिख रही हैं. अभियान की टीम की प्रेरणा और तकनीकी सहयोग से लगभग पचास साल पुराने कुएँ का पुनर्जन्म संभव हो सका है. सोनकच्छ के एक स्कूल ने अपने परिसर में स्थित कुएँ को डगवेल रिचार्ज तकनीक से जोड़कर इसे जीवनदान दिया है. इसमें हर बारिश का क़रीब सवा लाख लीटर पानी संग्रहित होकर उपयोग आ सकेगा. साथ ही भूमिगत जल स्तर भी बढ़ेगा.
अमृत संचय अभियान की तकनीकी टीम ने सोनकच्छ के एक निजी स्कूल सेंट एंटोनी'स कॉन्वेंट हायर सेकंडरी स्कूल के पदाधिकारियों को स्कूल की छत और परिसर का वर्षाजल संरक्षण की उपयोगिता और महत्त्व बताया तो वे भी सहर्ष इस जल जन-आंदोलन में शामिल हो गए. उन्होंने अनुकरणीय पहल करते हुए विद्यालय प्रांगण में स्थित ऐतिहासिक कुएँ का सफल पुनरुद्धार किया है. लगभग 40,000 की लागत से हुए डगवेल रिचार्ज तकनीक में विद्यालय भवन की 12,000 वर्गफीट छत से व्यर्थ बहने वाले वर्षाजल को पाइपलाइन की सहायता से सीधे कुएँ में प्रवाहित किया गया है. इससे पहले कुएँ की गहन सफाई की गई, जिसे अमृत संचय अभियान की तकनीकी टीम के मार्गदर्शन में योजनाबद्ध रूप से संपन्न किया गया.
अभियान से जुड़े मनीष वैद्य, भूजलविद हिमांशु कुमावत, सफिया कुरेशी, कृपाली राणा एवं सुनीता कौशल की प्रेरणादायक पहल पर विद्यालय की ओर से शिक्षक आशीष सोनी ने इस कार्य का बीड़ा उठाया. विद्यालय संचालिकाद्वय सिस्टर लिसी एवं सिस्टर लिली के दूरदर्शी प्रयासों से यह प्रयास जिले में मिसाल बन गया.
वर्षाजल को कुएँ में पहुँचाने से न केवल भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी, बल्कि संग्रहित जल का उपयोग विद्यालय परिसर में वृक्षों एवं पौधों की नियमित सिंचाई हेतु भी किया जा सकेगा. जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी से किया गया यह कार्य दृढ़ संकल्प और प्रभावी तकनीक का उदाहरण है, जो अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए रोल मॉडल बन रहा है.
जिला पंचायत सीईओ ज्योति शर्मा ने जिले के सभी निजी और शासकीय विद्यालयों में वर्षाजल संग्रहण तकनीकों के निर्माण के निर्देश दिए हैं. इसके लिए अमृत संचय अभियान की टीम निशुल्क तकनीकी जानकारी प्रदान कर रही है. उन्होंने कहा कि विद्यालयों को आगे बढ़कर दूरदर्शी दृष्टिकोण से भावी पीढ़ी के लिए पानी बचाने के बेहतर काम करना चाहिए और बच्चों को भी इससे अवगत कराने की महती ज़रूरत है. सोनकच्छ की अनुविभागीय अधिकारी प्रियंका मिमरोट ने कुएँ के पुनर्जीवित होने पर ख़ुशी जताते हुए पूरे तहसील क्षेत्र में और बेहतर कार्य करने पर ज़ोर दिया.
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