परमात्मा ज्ञान का सागर है जो हमें बुद्धि और सद्बुद्धि देता है.. ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी
देवास। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कालानी बाग सेंटर में नित्य ध्यान योग के साथ जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी की अमृतवाणी का संस्था से जुड़े भाई बहन लाभ ले रहे हैं। प्रेमलता दीदी ने अपनी अमृतवाणी में कहा कि हम आत्माओं की पूरी दिनचर्या में मन और बुद्धि का बहुत बड़ा महत्व है। क्योंकि मन मे रचे गए संकल्प ही हमारे हर कर्म का बीज होता है। मन आत्मा की संकल्प शक्ति है। मन में विचार भावनाएं, वृत्तीयां और स्मृतियां होती है। और यह समूह संकल्पों की रचना करता है। उन संकल्पों को दिशा देने वाली है हमारी बुद्धि है। इसलिए बुद्धि रूपी कलश में ज्ञान की अमृतरूपी बूंदे डालकर उसे शक्तिशाली बनाया जाए। जिस प्रकार की शिक्षा बुद्धि में भरी जाती है। उसी के अनुरूप निर्णय होते हैं।।दीदी ने आगे कहा कि लोग सत्संगों में जाते हैं, समझते हैं कि वहां अच्छी बातें सुनने को मिलेगी और जीवन में काम आएगी। इसलिए सत्संग का महत्व है। सत्संग अर्थात सत्य परमात्मा का संग, परमात्मा ही ज्ञान का सागर है और उस ज्ञान के आधार पर ही बुद्धि ओर सद्बुद्धि आती है।जो मन पर नियंत्रण रखती है। मन का असली सुख जिसे अतींद्रिय सुख कहते हैं। उसकी स्मृति हो जाने पर वह भौतिक कमेंद्रियों द्वारा भौतिक तत्वों से मिलने वाले क्षणभंगुर सुख को ही सुख समझने लगता है। अब कलयुग के अंत और सतयुग के आदि के संगम समय में परमात्मा शिव फिर से इस सृष्टि पर अवतरित होकर हम आत्माओं को मनमनाभव का मंत्र देते हैं। कि अपने को आत्मा समझ देह और देह के पदार्थ से मन को हटाकर मुझ ज्योति बिंदु परमात्मा परमधाम में मन लगाओ। इस विधि से मन को जो परम सुख मिलता है उसी में तल्लीन होकर वह एकाग्र हो जाता है। इस अवसर पर संस्था से जुड़े भाई बहन उपस्थित थे।
भवदीय
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कालानी बाग सेंटर देवास
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