सामूहिक गुरुचरित्र सप्ताह: पुणे की कीर्तनकार नम्रता निमकर का भावपूर्ण कीर्तन
- मनुष्य का चंचल मन हर समय भटकता रहता है... चाहे वह कीर्तन में ही क्यों न बैठा हो
देवास। श्री दत्त उपासक मंडल, देवास द्वारा आयोजित 12वें सामूहिक गुरुचरित्र सप्ताह के अंतर्गत गीता भवन में चल रहे आध्यात्मिक कार्यक्रमों की श्रंखला में रविवार को पुणे की सुप्रसिद्ध कीर्तनकार सौ. नम्रता निमकर का सुश्राव्य कीर्तन संपन्न हुआ। संस्था के संस्थापक अनिल बेलापुरकर (गुरुजी) के मार्गदर्शन में यह सप्ताह बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत में ईश्वर स्थापना, सच्चिदानंद भजन मंडल का भजन तथा सौ. संगीता सुपेकर का प्रेरणादायी कीर्तन हुआ। इसके पश्चात सौ. नम्रता निमकर ने कीर्तन शास्त्र आधारित गहन प्रस्तुति दी। उन्होंने कीर्तन शास्त्र में स्नातक तथा संगीत में स्नातकोत्तर शिक्षा पुणे के प्रतिष्ठित महाविद्यालयों से प्राप्त की है। वे अब तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा, कर्नाटक आदि राज्यों में लगभग 2000 से अधिक कीर्तन प्रस्तुत कर चुकी हैं।
रविवार का कीर्तन संत नरहरि पंत रचित प्रसिद्ध अभंग मना रे किती तु घेशील धाव... पर आधारित था। उन्होंने कहा कि मनुष्य का चंचल मन हर समय भटकता रहता है... चाहे वह कीर्तन में ही क्यों न बैठा हो। शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध जैसे पंचविषय मन को आकर्षित करते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा, जनता जिसे चुनती है वह संसद में बैठता है, लेकिन जिसे प्रभु चुनते हैं, वह कीर्तन में बैठता है। नम्रताजी ने मन की चंचलता को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से प्रस्तुत किया, मन, मधुकर (भंवरा), मेघ (बादल), मानिनी (स्त्री), मदन (काम), मरुत (हवा), माँ (लक्ष्मी), मद (अहंकार), मरकट (बंदर) और मत्स्य (मछली) आदि।कीर्तन के माध्यम से उन्होंने कर्म की महत्ता का संदेश दिया और जीवन का सत्य उजागर करते हुए कहा, भार्या दरवाजे तक, रिश्तेदार शमशान तक और शरीर चिता तक साथ देता है, परंतु सत्कर्म मृत्यु के बाद भी साथ देते हैं और व्यक्ति को अमर बनाते हैं। चिंतामणी निमकर (पुणे) ने हार्मोनियम पर और गणराज वैद्य (कल्याण) ने तबले पर संगत की। श्री दत्त उपासक मंडल के कार्यकर्ता दीपक कर्पे ने बताया कि सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस भावपूर्ण कीर्तन का लाभ लिया। सौ. अनिता जोशी और नागेश दौलताबादकर ने कलाकारों का स्वागत किया। अंत में सौ. संगीता सुपेकर ने आभार प्रकट किया। प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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