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श्री दामोदर वंशीय जूना गुजराती दर्जी समाज ने मनाया गुरूपूर्णिमा पर्व

श्री दामोदर वंशीय जूना गुजराती दर्जी समाज ने मनाया गुरूपूर्णिमा पर्व 
देवास। श्री दामोदर वंशीय जूना गुजराती दर्जी समाज देवास द्वारा समाज की मोतीबंगला स्थित धर्मशाला में ट्रस्ट के माध्यम से गुरु पूर्णिमा पर्व, के शुभ अवसर पर गुरुपूजन, आरती के साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग संस्था देवास के टीचरो द्वारा अनुलोम विलोम, भ्रस्तिका प्राणयाम रामध्यान एवं सत्संग करवाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के महिला पुरुष एवं   बच्चों सहित ट्रस्ट के पदाधिकारी एवं आर्टऑफ लिविंग के देवास सेंटर के सभी टीचर सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे। गुरु पूजन तथा ध्यान और सत्संग एवं गुरुजी की आरती कर गुरूपूर्णिमा पर्व मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूवात मंदिर के पुजारी द्वारा ट्रस्ट संरक्षक सत्यनारायण सोलंकी, अध्यक्ष मोहन परिहार, ट्रस्ट के उपाध्यक्ष बंशीलाल परिहार, प्रदीप चावडा, सचिव शिरिष मेहता, सहसचिव राजेंन्द्र गुलाबचंद परमार, कोषाध्यक्ष धर्मेंन्द्र सोलंकी, सह कोषाध्यक्ष महेश कोठारी, ओमप्रकाश सोलंकी, दिलीप सोलंकी, पूर्षोत्तम सोलंकी, जितेंद्र चावडा, कैलास देवडा, राजेंद्र परमार, सीमा सोलंकी सहित सभी उपस्थित सदस्यों से गुरुपूजन  करवाया गया। बाद में आर्टऑफ लिविंग के टीचर मीना खत्री, पुष्पा केवट, प्रदीप सोनी द्वारा उपस्थित समाज के सभी लोगो और आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्यों को ध्यान करने से होने वाले लाभ के बारे बताया,  उन्होंने विस्तार से बताया कि जिस प्रकार शरीर को चलाने के लिए भोजन जरूरी है उसी प्रकार दिमाग का भोजन ध्यान है, और यह हम किसी गुरु के  सानिध्य में ही सीख सकते है। गुरु कोई व्यक्ति नही गुरू एक तत्व है, जिस प्रकार 213 वर्ष पूर्व गुरुदेव श्री श्री1008 श्री  टेकचंद जी महाराज द्वारा समाधि लेने से पूर्व उपदेश दिये गये है उनको पालन और मनन करना हम सभी  शिष्यो का फर्ज है, गुरु परम्परा हजारो वर्ष पुरानी है, गुरु का पद भगवान से भी बड़ा है,  इसी प्रकार आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक  परम पूज्य गुरु देव श्री श्री रविशंकर जी द्वारा भारत सहित विश्व के 156 देश में ध्यान और सुदर्शन क्रिया से करोडो लोग तनाव मुक्त जीवन जी रहे है। आज गुरू पूर्णिमा का दिन हमारे गुरु द्वारा दिये गये ज्ञान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का है। इसके  पश्चात उनके द्वारा राम ध्यान एवं सत्संग करवाया। गुरु जी की संगीतमय आरती   कर स्वल्पाहार कर कार्यक्रम समाप्त हुआ। संचालन मोहन परिहार ने किया आभार शिरीष मेहता ने माना।

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