जीवन को श्री कृष्ण के समान बनाकर स्वर्णिम युग की स्थापना में सहयोगी बने...ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी
जन्माष्टमी आत्मा के नवजागरण और सतयुग की दिव्यता की स्मृति का पर्व है.... ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी
देवास। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्व विद्यालय कालानी बाग सेंटर में जिला मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी के सानिध्य में संस्था से जुड़े भाई बहनों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मुख्य अतिथि समाजसेवी रामेश्वर जलोदिया व उम्मेदसिंह राठौड़ थे। छोटी-छोटी कन्याओं ने भगवान श्री कृष्ण की वेशभूषा में मनमोहक प्रस्तुति दी। प्रेमलता दीदी ने अपनी अमृतवाणी में कहा कि जन्माष्टमी केवल भगवान श्री कृष्ण के जन्म की तिथि नहीं बल्कि यह आत्मा के नवजागरण और सतयुग की दिव्यता की स्मृति का पर्व है। ब्रह्मकुमारीज के आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह दिन हमें याद दिलाता है। उस समय की जब धरती पर शांति सुख पवित्रता प्रेम का राज था। जिसे हम स्वर्णिम युग कहते हैं। भगवान श्री कृष्ण जिन्हें ब्रह्माकुमारीज पूर्ण 16 कला संपूर्ण आत्मा के रूप में मानते हैं। सतयुग के पहले राजकुमार थे वह कोई चमत्कारी देवता नहीं बल्कि उस समय के आदर्श मानव थे। जो संपूर्ण शुद्धता प्रेम और आनंद की प्रतिमूर्ति थे। उनका जन्म कोई भौतिक अर्थ में नहीं बल्कि आत्मिक रूप से उस दिव्य स्थिति को पुन स्थापना का प्रतीक है। आज जब चारों ओर अशांति अशुद्धता और दुख का वातावरण है तब जन्माष्टमी हमें यह प्रेरणा देती है। कि हमें फिर से अपने मूल आत्मिक स्वरूप की ओर लौटना है। ब्रह्मा बाबा के द्वारा ईश्वर शिव ने जो ज्ञान दिया उसके आधार पर हम आत्मा को पुनः सशक्त बना सकते हैं। और उस सतयुग की दिव्य अवस्था को पुन प्राप्त कर सकते हैं। इस शुभ अवसर पर ब्रह्माकुमारीज सभी को यह संदेश देते हैं। आओ आत्मिक ज्ञान और राजयोग द्वारा अपने जीवन को श्री कृष्ण सामान बनाए और स्वर्णिम युग की स्थापना में सहयोगी बने। इस पूर्णिमा अवसर पर ब्रह्माकुमारी अपुलश्री दीदी, ज्योति दीदी, समाजसेवी रामेश्वर जलोदिया, उमेद सिंह राठौड़, शशिकांत गुप्ता, विवेक भाई, बंशीलाल राठौर भाई, सुनील भाई, हेमा वर्मा बहन, एकता बहन, सफला बहन व संस्था से जुड़े अन्य भाई बहन उपस्थित थे।
0 Comments