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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ द्वारा कार्यक्रम का आयोजन

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ द्वारा कार्यक्रम का आयोजन
देवास। उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय देवास में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ एवं आई.क्यू.ए.सी. के तत्वाधान में त्रैमासिक केलेण्डर के अनुरूप माह अक्टूबर के अंतर्गत विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूम्बर) के उपलक्ष्य में 13.10.2025 को कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजन में विषय विशेष पर व्याख्यान, चर्चा एवं परामर्श सत्र रखा गया। प्राचार्य डॉ. एस.पी.एस.राणा की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मुख्य वक्ता उमंग हेल्थ एण्ड वेलनेस कार्यक्रम प्रभारी डॉ. रजत राठौर रहे। ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. ममता झाला, डॉ. रश्मि ठाकुर समिति सदस्य एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. विद्या माहेश्वरी मंचासीन रही। भारतीय ज्ञान परम्परा अनुरूप प्राचार्य एवं प्राध्यापकों द्वारा कार्यक्रम का आराम्भ मॉ शारदे के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं मंत्रोच्चारण से किया गया। मंचासीन प्राचार्य, सदन में उपस्थित सभी विज्ञ प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों का शब्द सुमन एवं करतल ध्वनि से स्वागत अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए डॉ. ममता झाला ने कहा कि आज की भाग-दौड भरी यंत्रबद्ध जिदंगी में व्यक्ति निराशा और तनाव से घिरा रहता हैं विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन उसका निदान प्रस्तुत करता है। डॉ. रजत राठौर ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाने के कारण, उद्देश्य, वार्षिक थीम, अस्वास्थता के लक्षण पर प्रकाश डाला। मानसिक अस्वस्थ्यता से उबरने के लिए भारतीय परम्परा में मानसिक स्वस्थ्य संबंधी अवधारणा को हनुमान, जामवंत एवं श्री कृष्ण अर्जुन संवाद के माध्यम से समझाया। वर्तमान संदर्भ के मानसिक स्वस्थ्य पर चर्चा करते हुए कहा कि मन, शरीर, आत्मा को स्वथ्य रखने के लिए आत्म-साक्षतकार, योग ,प्रणायाम, ऊॅकार मंत्रोच्चारण एवं स्थित प्रज्ञ की स्थिति की आवश्यकता हैं। आपने महाविद्यालय में स्थापित मनः कक्ष एवं परामर्श समिति की जानकारी विद्यार्थियों को दी।
जनभागीदारी समिति अध्यक्ष मनीष पारिक ने विद्यार्थियों को मानसीक स्वस्थ्य के प्रति जागरूक रहने  का संदेश दिया और कहा कि संकारात्मक सोच और व्यवस्थित जीवन शैली मानसीक स्वस्थ्य को अच्छा बनाती है। अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ. राणा ने कहा कि व्यक्ति के मन में निरंतर विचार चलते रहते हैं, यही विचार अर्न्तद्वंद उत्पन्न करते हैं जिनका उचित समाधान न पाने पर व्यक्ति कुंठित और अवसाद ग्रस्त हो जाता है। जिससे उबरने के लिए मानस पटल पर पूर्व में अंकित कुंठाओं को मिटाकर ही मानसिक स्वस्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता हैं। व्यक्ति को स्वथ्य रहने के लिए वर्तमान को अपनी पूर्णता के साथ जीना चाहिए।
कार्यक्रम में डॉ. दीप्ति ढवले, डॉ. मधुकर ठोमरे, डॉ. भारती कियावत, डॉ. सीमा सोनी, डॉ. जरीना लोहावाला, डॉ. जया गुरनानी, डॉ. लता धुपकरिया, डॉ. मनोज मालवीय, राकेश कोटिया, डॉ. ममता लावरे, डॉ. ललिता गोरे, डॉ. रेखा कौशल, डॉ. भारती वास्केल, डॉ. सत्यम सोनी, डॉ. विवेक अवस्थी, नीरज जैन, श्रीमती निहारिका व्यास, खुशबू बेग, डॉ. श्यामसुंदर चौधरी, डॉ. सचिन दास, डॉ. सीमा परमार, डॉ. कैलाश यादव की गरिमामयी उपस्थिति में विद्यार्थियों ने बडी संख्या में उपस्थित रहकर परामर्श सत्र में सहभागी रहे।
डॉ. लीना दुबे ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्वथ्य दुनिया के निर्माण के लिए सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य ’स्वास्थ्य एवं कल्याण’ को प्राप्त करने हेतु ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन को महत्वपूर्ण बताया और विद्यार्थियों को मानसिक रूप से स्वस्थ्य बने रहने हेतु प्रेरित किया। मन के हारे हार हैं, मन के जीते जीत उक्ति को व्याख्यित करते हुऐ डॉ. माया ठाकुर ने सदन में उपस्थित सभी प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों का आभार माना।

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