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अमृत संचय अभियान का पहली बार प्रदेश में नवाचार,, 50 से अधिक बच्चों ने पाँच स्थानों पर देखी 40 जल संरक्षण तकनीकें

अमृत संचय अभियान का पहली बार प्रदेश में नवाचार,, 

50 से अधिक बच्चों ने पाँच स्थानों पर देखी 40 जल संरक्षण तकनीकें

देवास, 22 नवम्बर [शकील कादरी]अमृत संचय अभियान ने पानी के महत्त्व से भावी पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम बनाया है. जिले में सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इनोवेटिव स्कूल में कुछ साप्ताहिक कक्षाओं के ज़रिये इसे पढ़ाया जा रहा है. इसमें शामिल विद्यार्थियों को शहर में बनी विभिन्न वर्षाजल संचय संरचनाओं का भ्रमण कराया गया. प्रदेश की पहली अनूठी बाल सेना के 50 से अधिक बच्चों ने पाँच जगहों पर 40 जल संरक्षण तकनीकें देखीं.

   शनिवार की सुबह इनोवेटिव स्कूल से विद्यार्थियों को शासकीय प्राथमिक विद्यालय इटावा, रमेशचन्द्र पंड्या के निवास, प्रदीप उपाध्याय के निवास, हिमालया एकेडमी तथा देवास ग्रीन्स कालोनी में बनी वर्षाजल संग्रहण की अलग-अलग संरचनाओं को अपनी आँखों से देखा-परखा. इन्हें देखते हुए उनके मन में कई सवाल घुमड़ने लगे, जिसका जवाब भ्रमण में साथ चल रहे अमृत संचय अभियान टीम के डॉ सुनील चतुर्वेदी, समीरा नईम, हिमांशु कुमावत, मनीष वैद्य तथा कृपाली राणा आदि ने दिया. बाल सेना के साथ सैयद मकसूद अली, सदाकत अली, निकहत शेख, सुरेन्द्र राठौर, मिर्ज़ा मुशब्बिर बेग आदि ने व्यवस्थाओं की कमान संभाली.    

बच्चों ने कई तरह के सवाल पूछे, जैसे-बारिश के पानी को रोकने के लिए अलग-अलग संरचनाएँ क्यों बनानी पड़ती है. यह कैसे तय होता है कि कहाँ कैसी संरचना बनेगी. रेन वाटर हार्वेस्टिंग फिल्टर कैसे काम करता है. रिचार्ज पिट में हमें इतनी गहरी खुदाई क्यों करना पड़ती है. कुएँ में बारिश के पानी से रिचार्ज होने पर वह पूरे साल कैसे पानीदार रहता है.

प्रदेश की यह पहली अनूठी बाल सेना अब पाठ्यक्रम के साथ-साथ अपने-अपने घरों और पास-पड़ोस में पानी बचाने के लिए लोगों को प्रेरित करेगी. बाल सेना का जल्दी ही विस्तार किया जाएगा. जिले के सभी स्कूलों में इस मॉडल को विकसित कर अधिक से अधिक पानी बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

देवास को पानीदार बनाकर देश में अव्वल लाने के लिए जिला पंचायत सीईओ सुश्री ज्योति शर्मा ने जोर दिया कि शिक्षा और पानी बचाने के काम को जोड़ने से समाज को और अधिक लाभ मिलेगा. पानी बचाने के संस्कार बच्चों में आ सके तो यह बड़ी बात होगी. बच्चे ही आने वाला भविष्य है. उन्हें पानी का मोल समझाने की महती ज़रूरत है, इससे बड़ों को भी दिशा मिलेगी.    


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