सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी पेंशनर महासंघ जिला देवास की मासिक बैठक संपन्न
दीपावली मिलन समारोह का हुआ आयोजनदेवास। सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी पेंशनर महासंघ जिला देवास की मासिक बैठक 3 नवम्बर को मल्हारस्मृति मंदिर वरिष्ठ नागरिक भवन में पेंशनर महासंघ के संरक्षक एवं मार्गदर्शक विजय श्रीवास्तव एवं जिलाध्यक्ष सुभाष लाम्बोरे के मार्गदर्शन में संपन्न हुई। जिसमें प्रदेश के पेंशनर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमनारायण तिवारी विशेष रूप से उपस्थित रहे। मासिक बैठक की शुरूआत परंपरानुसार मानवता के लिए......गीत से हुई। गीत का वाचन देवकरण शर्मा द्वारा किया गया उपस्थित सभी लोगों ने उसे दोहराया। बैठक का मुख्य एजेंडा सदस्य संख्या बढ़ाना, जो भी नवीन सदस्य मासिक बैठक में उपस्थित हुए उनका परिचय कराना, स्वागत एवं अभिनंदन, अर्जित अवकाश एवं पेंशनरों की अन्य समस्याओं का निराकरण करना, साथ ही सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी पेंशनर महासंघ जिला देवास की नवीन पत्रिका का प्रकाशन करना इस हेतु बैठक में विचार विमर्श कर सबकी सहमती से इस कार्य को करना इस पत्रिका के सम्पादक मंडल में राजकुमार चंदन, विजय श्रीवास्तव, पद्माकर फडनिस रहेंगे। इसमें पेंशनर महासंघ के सदस्य कविता, कहानी, लेख, प्रेरणादायक लेख, लिखकर टाईप करवाकर एक फोटो के साथ 20 नवम्बर के पहले अध्यक्ष को लिखित में देंगे। उसकी 300 शब्दों की सीमा है उससे अधिक ना लिखे। विजय श्रीवास्तव द्वारा अपने उद्बोधन में नवीन पत्रिका के प्रकाशन एवं उसके बारे में जानकारी दी गई। प्रदेश अध्यक्ष श्री तिवारी ने प्रदेश स्तर पर जो भी आदेश निर्देश एवं मार्गदर्शन, पूरे प्रदेश में चल रही गतिविधियों के बारे में मार्गदर्शन दिया गया। श्री लाम्बोरे ने मासिक बैठक में नवीन सदस्य संख्या बढ़ाने हेतु प्रयास करने हेतु कहा । बैठक में उपस्थित नवीन सदस्यों का स्वागत किया गया। बैठक में दशहरा दीपावली मिलन समारोह का आयोजन भी किया गया जिसमें पेंशनर महासंघ के प्रमुखों द्वारा सभी सदस्यों को दीपावली की बधाई एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गई। प्रदीप खोचे द्वारा सभी सदस्यों को प्रसादी के रूप में स्वल्पाहार कराया गया। इस अवसर पर पद्माकर फडनिस, अशोक कुमावत, राजेन्द्र सोलंकी, नरेन्द्र जोशी, सुरेशचंद्र कारपेंटर, रवि क्षीरसागर, कल्पना मूले, उषा शुक्ला, मनीषा आकोलकर, सुनंदा शर्मा, किरण पांडे आदि उपस्थित रहे। बैठक का संचालन सचिव देवकरण शर्मा ने किया तथा आभार मोहनदास बैरागी ने माना।


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