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देवास जिले में विमुक्ति दिवस पर छात्रावासों में कार्यक्रमों का हुआ आयोजनबालिकाओं ने पारंपरिक बंजारा लोकनृत्य एवं बालकों ने लोकगीतों की दी प्रस्तुती

देवास जिले में विमुक्ति दिवस पर छात्रावासों में कार्यक्रमों का हुआ आयोजन
बालिकाओं ने पारंपरिक बंजारा लोकनृत्य एवं बालकों ने लोकगीतों की दी प्रस्तुती 
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प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र/छात्राओं को पुरस्कार वितरण कर किया सम्मानित 
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देवास 31 अगस्‍त 2022/ राज्‍य शासन के निर्देशानुसार जिले में विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति दिवस पर छात्रावास में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कन्या छात्रावास की बालिकाओं ने विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जाति वर्ग का पारंपरिक बंजारा लोकनृत्य एवं बालक छात्रावास देवली धानीघाटी टोंककला देवास के छात्रों ने लोकगीतों की प्रस्तुती दी। कार्यक्रम में अपर कलेक्टर श्री महेन्द्र सिंह कवचे, विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुम्मकड़ जनजाति के जनप्रतिनिधि श्री विक्रम सिंह चौधरी, श्री रमेश शर्मा, श्री अर्जुन चौधरी, श्री नरेन्द्र गौदेन, श्री अनवर सिंह सिसोदिया, श्री जगदीश चौधरी, श्री सत्यनारायण झाला, राजकुमारी सिसोदिया, स्मिता रावल, श्री मंगल रायकवार उपस्थित थे। 
कार्यक्रम में अपर कलेक्टर श्री कवचे ने कहा कि राज्य सरकार विमुक्त जनजातियों के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक सुधार के लिये लगातार कार्य कर रही है। सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण श्रीमती सपना खर्ते चौहान ने विमुक्ति दिवस पर विमुक्त जाति का इतिहास बताया एवं उज्जवल भविष्य के लिये संचालित योजनाओं की जानकारी दी। 
जनप्रतिनिधियों ने विकासखण्ड स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र/छात्राओं को पुरस्कार वितरण कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन अधीक्षक श्री शरद तिवारी ने किया तथा अधीक्षिका सुश्री शिवानी सिरोलिया ने आभार व्यक्त किया।
देश में वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश सरकार ने अनेक जनजातियों को उनकी स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका के कारण आपराधिक प्रवृत्ति का घोषित कर दिया था। इनमें अनेक जनजातियाँ विमुक्त थीं। देश के स्वतंत्र होने के बाद 31 अगस्त 1952 को इन जनजातियों के ऊपर से यह काला कानून संसद में एक बिल पास कर हटा दिया था। तब से 31 अगस्त को विमुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। मध्यप्रदेश में 21 जनजातियां विमुक्त के रूप में जानी जाती हैं। राज्य सरकार विमुक्त जनजातियों के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक सुधार के लिये लगातार कार्य कर रही है। विमुक्त जाति के सशक्तिकरण के लिये वर्ष 2021-22 से अगले पाँच वर्षों में चार घटकों शैक्षणिक सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, आजीविका और भूमि विकास के कार्यक्रमों पर 200 करोड़ रूपये से अधिक की राशि खर्च की जा रही है।

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