कर्म से ही सिद्धि प्राप्त होती हैं- गीता अभ्यास वर्ग
देवास। विश्वगीताप्रतिष्ठानम, देवास के गीता अभ्यास वर्ग द्वितीय दिवस पर देश के सुप्रसिद्ध गीता मर्मज्ञ द्वारा गीता के गूढ़ अर्थ को सरल रूप में बताया गया। प.पू. स्वामीजी श्री रामनारायण जी महाराज के कर कमलों से अभ्यास वर्ग की शुरुआत की गई। आपने अपने आशीर्वचन में कहा कि विश्व में सर्वाधिक लेखन गीता के ज्ञान पर ही हुआ है। गीता पर विश्वभर में अनेकों व्याख्यान, भाष्य, टिकाएं लिखी गई और जिसने उसे जैसा समझा वैसा लिखा या प्रवचन दिया। गीता को पढऩा और गीता की व्याख्याओं आदि को पढऩे में बहुत अंतर है। गीता को समझने के लिए सिर्फ गीता ही पढऩा चाहिए। गीता महाभारत का एक अंश है। केन्द्रीय संगठन मंत्री विष्णु प्रसाद शर्मा, रमेश कोठारी केन्द्रीय संयुक्त सचिव, प्रह्लाद गुप्ता, केन्द्रीय व्यवस्था प्रमुख, डॉ शिव आचार्य प्रान्त व्यवस्था प्रमुख, डॉ राकेश प्रकाश निगम प्रांत आरोग्य प्रमुख, नरेन्द्र कुमार शर्मा प्रांत वित्त प्रमुख, डॉ मनीषा सोनी प्रांत शिक्षण प्रमुख, मनोज बजाज भी उपस्थित रहे। डॉ विष्णुनारायण तिवारी केन्द्रीय महामंत्री ने उपस्थित प्रतिभागियों को बताया कि गीता नाम 'गीतÓ शब्द से बना है, जोकि एक तरह की पद्य रचना है। विद्वानों के अनुसार गीता नाम का अर्थ दैवीय गान, स्वर्गीय गीत या ईश्वर के वचन माना गया है। गीता के अन्य नाम ईश्वर गीता, अनंत गीता, हरि गीता, व्यास गीता हैं। गीता को सम्मानपूर्वक लिए जाने का नाम श्री मदभगवतगीता है।श्रीमद शब्द किसी को उच्च श्रेणी का आदर देने के लिए भी नाम के पहले लगाया जाता है, जैसे कि कोई धार्मिक ग्रंथ, तीर्थ, गुरु या आचार्य के नाम के साथ लगाया जाता है। संध्या पूजन आरती में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ अध्यक्ष प.दिनेश मिश्रा, राष्ट्रीय कवि देवकृष्ण व्यास, इंदिरा मेहता, प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य ओदिच्य ब्राह्मण महासंघ, संजय शुक्ला, घनश्याम जोशी सहित समानित ब्रह्म बंधुओं को विश्वगीताप्रतिष्ठानम् का अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया। संचालन जितेन्द्र त्रिवेदी व बंशीधर केशवरे ने आभार व्यक्त किया।
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