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वर्ल्ड फोटोग्राफी डे (19 अगस्त) पर केन्द्रित विशेष सामग्री80 साल पहले देवास में शुरू हुआ था पहला फ़ोटो स्टूडियो

वर्ल्ड फोटोग्राफी डे (19 अगस्त) पर केन्द्रित विशेष सामग्री
80 साल पहले देवास में शुरू हुआ था पहला फ़ोटो स्टूडियो
केशवलाल सोनी रहे देवास में छायांकन के पहले गुरु
प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, इंदिरा गांधी और रजनीश जैसी शख्सियतों के फ़ोटो लिए
केशवलाल का परिवार आज भी जीवित रखे हुए है उनकी विरासत
देवास। आज से लगभग अस्सी साल पहले सन 1940-50 के उस संसाधनविहीन दशक में देवास जैसे छोटे-से क़स्बे में सबसे पहला स्टूडियो प्रारंभ हुआ. उन दिनों यह सब कुछ इतना आसान नहीं था. तब फ़ोटोग्राफ़ी इतनी आसान नहीं हुआ करती थी और न ही तत्काल फ़ोटो ले पाने की सहूलियत थी। बड़े आकार के कैमरे मुंबई से खरीद कर लाना पड़ते थे और उनमें कुछ हो जाने पर आसपास कोई मरम्मत करने वाला तक नहीं था. तब एक फोटो खींचना भी किसी बड़े मशक्कत से कम नहीं हुआ करता था। इन सबके बावजूद उस दौर के एक युवा कलाकार ने इस लगभग असंभव से दिखने वाले काम को कर दिखाया, इससे एक क़दम आगे बढ़कर फोटोग्राफी की दक्षता और लगन के बूते अविस्मरणीय तस्वीरें लेकर लोगों को हैरत में डाल दिया। देवास में सबसे पहला स्टूडियो इसी कलाकार केशवलाल सोनी ने जवाहर चौक में शुरू किया। तब लोगों के लिए फ़ोटोग्राफ़ी एक लगभग अनजानी-सी विधा थी. किसी का फ़ोटो निकालने में काफ़ी लम्बा वक़्त लगता था। तब के दौर में उन्होंने न सिर्फ़ स्टूडियो में फ़ोटो खींचे अपितु आजादी के जश्न, प्रभातफेरियों और बड़े नेताओं तथा मशहूर शख्सियतों के देवास आने पर उनकी भी कई शानदार तस्वीरें उतारी। इनमें देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरु, जयप्रकाश नारायण, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, आचार्य रजनीश, उस्ताद अमजद अली खां सहित दर्जनों ऐसे नाम शामिल हैं। कई बड़ी जन सभाओं को भी उन्होंने कवर किया। उन्होंने इसे तकनीक से आगे ले जाकर कला के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई और मनुष्य के हर्ष, विषाद, करूणा, वात्सल्य आदि भावों को गहराई से पकड़कर तस्वीरों में उकेरा। प्रकृति के भी कई अद्भुत लैंड स्केप उन्होंने लिए. उनकी ब्लैक एंड व्हाईट फ़ोटोग्राफ़ी के कई चित्र आज भी कला पारखियों को विस्मित कर देते हैं। केशवलाल सोनी के परिवार ने उनके निधन के चालीस साल बाद भी उनकी इस अनूठी विरासत को आज तक  जीवित रखा है। उनके पुत्र कैलाश सोनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी फ़ोटोग्राफ़ी के लिए ख़ास तौर पर पहचाने जाते हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा गया है। कैलाश सोनी के चित्र धर्मयुग, दिनमान, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, नवभारत टाइम्स से लेकर नई दुनिया, दैनिक भास्कर आदि समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपते रहे हैं। परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में कैलाश सोनी के पुत्र अम्बुज और ओज तथा पुत्री उत्कर्षा भी इसी विरासत को सहेज कर इसमें और नए-नए आयाम जोड़ने की दिशा में लगातार बेहतर काम करते हुए फोटोग्राफी को मिशन की तरह लेकर आगे बढ़ रहे है। उनके काम को कला समीक्षकों की सराहना भी मिल रही है।

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