रियासतकालीन धरोहर को संरक्षण देने हेतु विधायक, महापौर एवं जिलाधीश को सौंपा ज्ञापन
देवास। सर्वसमाज मंच द्वारा रियासतकालीन धरोहरों को संरक्षण देने हेतु विधायक, महापौर, आयुक्त एवं जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें बताया गया कि देवास शहर का प्रदेश एवं देश के इतिहास में अपना एक प्रमुख स्थान रहा है, यहां पुरातन वास्तुकला एवं सार्वजनिक महत्व की पूर्व मराठा राज्य की धरोहर मौजूद है, परंतु कई इमारतें शासन द्वारा उपेक्षा के फलस्वरूप धराशायी हो चुकी है। मराठा समाज देवास तथा सर्वसमाज मंच द्वारा सन 2018 से सामूहिक रूप से धरोहर बचाओ अभियान की शुरूआत की थी, इस संदर्भ में म.प्र. शासन से संबंधित विभाग तथा मुख्यमंत्री को भी इस विषय से ज्ञापन पत्रों द्वारा कई बार अवगत कराया गया था परंतु यथोचित कार्य नहीं किया जा रहा है। ज्ञापन मंे मांग की गई कि देवास पुरातत्व विभाग कार्यालय प्रमुख को निर्देश देकर पुरातत्व महत्व की वस्तु तथा स्थान का निरीक्षण कर अपने संरक्षण में लेवें। पुरातत्व विभाग द्वारा पूर्व में देवास के पुरातत्व अवशेषों का निरीक्षण किया जा चुका है, पंरतु वास्तविक संरक्षण नहीं दिया जा रहा है। नियम है कि पुरातत्व महत्व की वास्तु पुरातत्व विभाग 100 वर्ष कालावधि के बाद ही वास्तु को अपने संरक्षण में रखता है, चाहे उस पर निजी कब्जा हो परंतु उसके पूूर्व पुरातत्व महत्व की विरासत को संरक्षण देना जिलाधीश के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस संबंध में नियमानुसार जिले में एक पुरातत्व संघ का गठन भी आवश्यक है, जो अब तक अस्तित्व में नहीं है। अधिकतर वास्तु नगर निगम देवास तथा निजी आधिपत्य में है। वर्तमान में मल्हार स्मृति मंदिर (विरासत भवन) तथा समीप का उद्यान जिसका वास्तविक नाम सदाशिव उद्यान है तथा भूतपूर्व महाराजा श्रीमंत सदाशिवराव पवार की मूर्ति जिसका अनावरण देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा किया गया था, आज उपेक्षित है तथा कभी भी गिर सकती है। उद्यान का नाम सन् 1955 से ही सदाशिव उद्यान है, सदाशिव उद्यान के नाम का बोर्ड मुख्य द्वार पर अतिशीघ्र लगवाया जाए। इस अवसर पर किरण वर्पे, प्रमोद जाधव, महेन्द्र्र तापकीर, बाला साहेब पलसे, सुभाष शिंदे, भालचंद्र ताकोने, रविन्द्र कानूनगो, संजय मालुसरे, राजेन्द्र खानविलकर, राजेन्द्र लाड़, अरूण लोणकर, दीपक काले, गिरिश भंवर , रमेश खाड़े, ओमप्रकाश तिवारी, योगेन्द्र भारती आदि उपस्थित थे।
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