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अमृत संचय अभियान के संबंध में संयुक्त कलेक्टर श्रीमती मिमरोट की अध्‍यक्षता में बैठक आयोजित

अमृत संचय अभियान के संबंध में संयुक्त कलेक्टर श्रीमती मिमरोट की अध्‍यक्षता में बैठक आयोजित

     देवास [शकील कादरी] 27 मई 2024/ अमृत संचय अभियान के संबंध में संयुक्त कलेक्टर श्रीमती प्रियंका मिमरोट की अध्‍यक्षता में कलेक्‍टर कार्यालय सभाकक्ष में बैठक आयोजित हुई। बैठक में नगर निगम, पीडब्‍ल्‍यूडी, पीएचई, आरइएस एवं अन्‍य विभाग के इंजीनियर उपस्थित थे।

     बैठक में संयुक्‍त कलेक्टर श्रीमती मिमरोट ने कहा कि सरकारी भवनों, शासकीय/अशासकीय स्‍कूलों, अधिकारी/कर्मचारियों के निजी भवनों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम लगाये। बरसात शुरू होने से पहले छतों की अच्‍छे से सफाई कर लें। जिनके घर बोर है वे रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम का पानी बोर में उतारे और जिनके यहां बोर नहीं है, वे जमीन में पानी की टंकी बनाकर और कुएं में बारिश का पानी स्‍टोर कर पानी का उपयोग करें।  

     संयुक्‍त कलेक्टर श्रीमती मिमरोट ने कहा कि हम अपनी अगली पीढ़ी की सुख-सुविधाओं के लिए पूरे जीवन जतन करते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि समाज को अगली पीढ़ी के लिए जल की अनमोल विरासत भी सौंपने की आवश्यकता है। हमें अमृत संचय अभियान के अंतर्गत अपने मकानों की छत पर आने वाले बारिश के पानी को सहेज कर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक पर ज़ोर देना पड़ेगा।

     वरिष्ठ भूजलविद तथा देवास रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक को लोकप्रिय बनाने वाले जल वैज्ञानिक डॉ सुनील चतुर्वेदी ने सविस्तार छतों से व्यर्थ बहकर जाने तथा जल भराव की समस्या पैदा करने वाले जल को सहेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से हम देवास शहर में कई करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं।

     श्रीकांत उपाध्याय ने देवास की जल परंपरा और उसके लगातार दोहन से पैदा हुए जल संकट के बारे में विस्तार से बात की और कहा कि अब भी देर नहीं हुई है। हमें जुटना पड़ेगा ताकि देवास पानीदार हो सके। डॉ समीरा नईम ने कहा कि हम सबको अपनी जिम्मेदारी समझकर इस काम को करना होगा।

     बैठक में बताया गया कि शहर में वर्षाजल को बचाने के लिए जागरूकता अभियान, तकनीकि मार्गदर्शन, जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन, मॉनिटरिंग एवं मूल्यांकन, दस्तावाजिकरण कार्य किया जायेगा। रणनीति के अनुसार कार्य करने के लिये बड़ी संख्या में सक्रीय लोगों की आवश्यकता होगी जो अभियान को नेतृत्व प्रदान कर सके।

     जागरूकता अभियान के लिए प्रचार-प्रसार एवं जानकारी परक सामग्री का निर्माण,  प्रेरक सदस्यों का उन्मुखीकरण, 45 वार्ड के सभी पार्षदों का उन्मुखीकरण, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण, खेल संस्थाओं के प्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण, जातिगत संस्थाओं के प्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण, स्कूल/कॉलेज के छात्र/छात्राओं का उन्मुखीकरण, औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण, समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से पब्लिक इवेंट का आयोजन किया जायेगा।

     नगर निगम, आर.ई.एस, पीएचई के तकनीकि दल एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का चयन कर तकनीकि दल गठित कर प्रशिक्षण दिया जायेगा। किये जा रहा कार्य गुणवत्ता पूर्ण हो इसके लिये समय-समय पर तकनीकि दल द्वारा मोनिटरिंग एवं किये गए कार्य का मूल्यांकन किया जायेगा। किये गए कार्य का दस्तावेज तैयार किया जायेगा। सभी कार्यों के लिये मानव संसाधन की आवश्यकता होगी और हर एक कार्य के लिये तीन-चार व्यक्तियों की टीम बनाई जायेगी।

     बैठक में बताया गया कि पानी का संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। पैंतीस-चालीस साल पहले ट्यूबवेल में पानी 100-125 फुट पर मिल जाता था, वही आज 600-700 फुट की गहरायी पर भी पानी नहीं मिल रहा है। भूमिगत जल का स्तर लगातार नीचे जाने से नदियाँ भी सूख रही हैं। अगर यही हालात रहे तो आने वाले 10-15 सालों में ही पानी के लिये हाहाकार हो इसमें कोई संदेह नहीं है। नीति आयोग की रिपोर्ट भी कहती है आज देश के करीब 60 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास पर्याप्त पानी नहीं है। उन्हें जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। 2030 में पानी कम होगा और पानी की मांग दुगनी हो जायेगी तब हालत और भयावह होगी। नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट में देश के 21 नगरों में भू-जल के शून्य पर पहुँच जाने के बारे में कहा गया था. हाल ही में बेंगलुरु में पानी के संकट से हम सब वाकिफ हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे शहर में भी यह हालात बनें तो हमें आज ही बरसात के व्यर्थ बहकर जाने वाले पानी को बचाने के लिये कुछ करना होगा.

पानी बचाने के लिए क्या करें

     हम शहरी क्षेत्र में पानी बचाने के लिए तीन तरह से प्रयास कर सकते हैं। पहला छत पर आने वाले वर्षाजल को ट्यूबवेल या अन्य किसी माध्यम से जमीन के नीचे पहुंचाकर भू-जल स्तर बढ़ाने के लिये प्रयास करना। दूसरा नहाने, कपड़े धोने, सब्जी साफ करने में प्रयुक्त पानी का पुनरुपयोग करना और तीसरा पानी का विवेकपूर्ण खर्च यानी मितव्ययिता से उपयोग।

पानी का बचाव कैसे करें

      छत पर आने वाले वर्षाजल को बचाने के लिये रूफ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये(छत पर आने वाले बरसात के पानी को सीधे ट्यूबवेल या अन्य किसी तकनीक के माध्यम से जमीन के नीचे उतारने का तरीका रूफ रेन वाटर हार्वेस्टिंग कहलाता है। इसके लिए यह जान लेना जरूरी है की बरसात के मौसम में हमारी छत पर आखिर पानी आता कितना है। इसको निकालना बहुत आसान है। इसके लिए दो जानकारी आवश्यक है। एक- छत का क्षेत्रफल और दूसरा आपके शहर की औसत वर्षा। मोटे तौर पर यदि बारिश 1000 मी.मी. है और छत 1000 वर्ग फुट है तो हर वर्ष करीब 90 हजार लीटर पानी बहकर व्यर्थ चला जाता है। जरा सोचिये, यदि देवास शहर में साठ हजार घर हैं तो हर वर्ष करीब 500 करोड़ लीटर से अधिक बरसात का पानी बहकर बेकार चला जाता है।

रूफ रेन वाटर हार्वेस्टिंग का लाभ

     यदि यही पानी आप रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक के माध्यम  से जमीन में उतारेंगे तो निश्चित भू-जल स्तर में वृद्धि होगी। आपके ट्यूबवेल के पानी की हार्डनेस भी कम हो जायेगी, क्योंकि बरसात का पानी सॉफ्ट है। यही बारिश का पानी बहकर सड़कों तक नहीं पहुंचेगा तो शहर में बरसात के मौसम में जल भराव की समस्या नहीं होगी।

रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक

     इस तकनीक में छत से आने वाले जल निकासी पाईप को पीवीसी पाइप के माध्यम से चित्र के अनुसार एक फिल्टर से जोड़ा जाता है और दूसरे सिरे को पाइप के माध्यम से ट्यूबवेल के केसिंग या कुँए में जोड़ दिया जाता है। इस सिस्टम में फिल्टर के इन लेट की तरफ एक टी नीचे की तरफ मुंह कर लगायी जाती है और आउट लेट की तरफ ऊपर की तरफ मुंह करके लगायी जाती है। आउटलेट की तरफ वाली टी से बारिश के मौसम में सोडियम हाइपो क्लोराइड या पोटेशियम परमेंगनेट का घोल ट्यूबवेल/कुँए में डाली जाती है ताकि जल प्रदूषण कम किया जा सके।

रूफ वाटर हार्वेस्टिंग में सावधानियां

     वर्षा के पूर्व छत की साफ-सफाई और बारिश के दौरान भी छत को साफ रखना। पहली दो बारिश का पानी बाहर बहा दें।

यदि घर में ट्यूबवेल या कुआं न हो तो अन्य विकल्प क्या  

     बरसात के पानी को सीधे किसी टंकी में इकठ्ठा करके बारिश के समय इसी पानी का उपयोग करें। इस तरह भी आप जमीन के नीचे का लाखों लीटर पानी बचा सकते हैं। इस तरह घर के पास या जमीन के नीचे टंकी बनाकर भी बरसात का पानी इकट्ठा कर उसका उपयोग किया जा सकता है।

सोक पिट तकनीक

     आप अपने घर में सोक पिट बनाकर भी छत का पानी इसमें उतार सकते हैं। यह 4x4 का चार फुट गहरा गड्ढा होता है। यदि छह-सात फुट तक काली मिटटी यानी अप्रवेश्‍य लेयर हो तो इसकी तली में सात-आठ फुट गहरे पाइल करवाकर उसमें बोल्डर भर दें। आशय यह है कि पानी जमीन में रिसना चाहिये।

पानी का सदुपयोग

     हर दिन घर का चौक व सामने की सड़क पानी से न धोएं बल्कि बुहारकर साफ करें। नल या पाइप लाइन में रिसाव हो तो उसे तत्काल बंद करें। मोटर साईकिल, कार धोने के लिए बाल्टी का प्रयोग करें। ब्रश करना और दाढ़ी बनाने जैसे काम नल चलाकर न करें। मग्गे या लोटे में पानी लेकर ब्रश करने और दाढ़ी बनाने जैसे काम करें। बर्तन धोने के लिए बाल्टी या टब में पानी लें। अनावश्यक रूप से कपडे न धोएं। कपड़े धोने के लिए बाल्टी का उपयोग करें। नल चलाकर कपड़े न धोएं। कपड़े धोने, सब्जी धोने और नहाने के पानी को टब या बाल्टी में इकट्ठा करके उसका उपयोग शौचालय सफाई में या किचन गार्डन में करें। नहाने के लिए बाल्टी और छोटे मग का उपयोग करें। खेती-किसानी में स्प्रिलिन्कर या ड्रिप का उपयोग करें। कम पानी वाली फसल उगायें।

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