देवास। बज्म-ए- गुल-ए-गुलशन देवास की जानिब से मुनअकीद ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मलेन का आयोजन विक्रम सभा भवन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम रात 9.30, से शुरू हुआ मुशायरा अल-सुबह 3 बजे तक चलता रहा, सामईन ने तमाम शोअरा हजरात की वाह-वाह की सदाओं व तालियों से हौसला अफजाई की। हज के मुक्कदस सफर से आने पर जनाब हाजी अंसार अहमद हाथी वाले का बज्म ए गुल ए गुलशन ने एजाज किया। मुशायरे के मेहमान ए मुकर्रम महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल व सभापति रवि जैन मुशायरे के इख्तिदाम तक आपकी मौजूदगी ने मुशायरे को रौनक बख्शी। मेहमान ए अजीज पूर्व महापौर रेखा वर्मा, समीरुल हक उज्जैन, सरफराज कुरैशी उज्जैन, नईम खान उज्जैन, डॉ. हन्नान फारूकी , शब्बीर अहमद, इकराम नागौरी, मेहमान ए मुअज्जम पार्षद व एम-आई-सी सदस्य मुस्तफा अंसार अहमद हाथी वाले , पार्षद बाली घोसी, पार्षद प्यारे पठान रहे। मेहमान ए खास में जमील शैख करीम बिल्डिंग, शेरू नागौरी, जानी भाई, डेनी पहलवान,टोंकखुर्द से तशरीफ लाए कमाल पटेल , शकील अपना, मिर्जा मसऊद, डॉ. रईस कुरैशी, ऐड.तनवीर शेख ,वसीम अब्बास उज्जैन, अतहर आलम उज्जैन, अकील नागौरी, डॉ. बबलू, रईस मंसूरी,अबरार अहमद सर, हाजी फारुख नागौरी, आबिद हुसैन नागौरी, सलाम नागौरी, नईम नागौरी,परवेज भाई,सादिक शैख,इल्यास शैख, शफीक आदि रहे। कमेटी मेंम्बर्स आमीन शैख, जावेद मंसूरी, इफ्तेखार अहमद, डॉ.आमीन शैख, मौजूद रहे। मुशायरे की सदारत जनाब मुशीर अंसारी ने की व बेहतरीन निजामत जनाब मन्नान फराज जबलपुर ने की मुशायरे का आगाज नाते पाक से हिन्दोस्तान के मशहूर शायर जनाब नईम अख्तर खादमी साहब ने किया। मकामी शायर अजीम देवासी, गुलरेज अली गुलरेज, मुईन खान मुईन, जय प्रकाश जय, जुबैर तन्हा ने अपने कलाम पेश किये। नईम अख्तर खादमी ने कहा कि तरक्कीयों की दौड़ में उसी का जोर चल गया, बना के अपना रास्ता जो भीड़ से निकल गया। गुलरेज अली ने कहा कि मीर ओ गालिब के जो अशआर हुआ करते थे, दाद ओ तहसीन के हकदार हुआ करते थे। अब फकत काफिया पैमाई है कुछ और नही, शैर पहले के असरदार हुआ करते थे। अजीम देवासी ने कहा कि भीगते रहना कहीं मेरा मुकद्दर तो नहीं, अश्क थमते नहीं आँखों में समंदर तो नहीं, दोस्तों से गले मिलने में उसे डर है अजीम, आस्तिनों में छुपाए हुए खंजर तो नहीं। शबीह हाशमी ने कहा कि वसीयत में करा लो मुझ से अपनी जान कर दूंगा। वतन की आन की खघतिर मैं सब कुर्बान कर दूंगा।। मुईन खान मुईन ने कहा कि मेरे दिल में है तूफां आँख में चिंगारियाँ भी हैं, मगर मुझ पर मिरी बच्चों की जिम्मेदारियाँ भी हैं। जुबैर तन्हा ने कहा कि तू अगर बे वफा नहीं होता, क्या है दुनिया पता नहीं होता,, इस तरह वो बसा है रग रग में, चाह कर भी जुदा नहीं होता। जय प्रकाश जय ने कहा कि गुल खिला है ये गोया गाल नहीं इश्क का रंग है गुलाल नहीं, मेरी आँखें कमाल देखती हैं, हुस्न तेरा कोई कमाल नईं। नईम आफताब ने कहा कि बादशाह हो गया है दर दर का, दिल दुखाया था इक कलंदर का, ठोकरों से बचा हुआ है नईम, ये करम है किसी की ठोकर का। साहिल माधोपुरी ने कहा कि इसी जमींन पे करते हैं रात दिन सज्दे, हम अपने मुल्क की मिटटी का मान रखते है। अल्ताफ तन्वीर ने कहा-गरीबी हो अगर जाहीर कभी इज्जत नही जाती है, शराफत जिस का सरमाया हो वो दौलत नही जाती है, मुझे तुम ईमतहा की हर कसोटी पर परख लेना, रगड़ कर देखने से सोने की कीमत नहीं जाती। मुबीन खिलजी ने कहा- उसे बस तुम अपनी जान लिखना, कलम से जब भी हिंदुस्तान लिखना। नईम अख्तर खादमी बुरहानपुर, मुशीर अंसारी मुम्बई, शऊर आशना बुरहानपुर, जावेद अनवर झाँसी, शबीह हाशिम छतरपुर, साहिल माधोपुरी उत्तराखंड, इल्यास अब्बासी अक्कलकुआ, अल्ताफ तन्वीर मालेगाव, नईम आफताब तराना, मुबीन खिलजी छिंदवाड़ा, मिर्जा जावेद बैग उज्जैन, अर्पित शर्मा शाजापुर, आदित्य जरखैज इंदौर। तमाम शौअरा हजरात ने अपने मुरस्सा कलाम से नवाजा। मुशायरे के इख्तिदाम पर सद्र-ए -मुशायरा मुशीर अंसारी और साहिबे जश्न हाजी अंसार अहमद हाथी वालों ने कामयाब मुशायरे की कमेटी के तमाम मेंबर्स को मुबारक बाद दी। बज्म ए गुल ए गुलशन के गुलरेज अली ने सब का शुक्रिया अदा किया।
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