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कभी भी किसी कठिन परिस्थिति में व्यक्ति को हार नहीं माननी चाहिए- पं. शास्त्री

कभी भी किसी कठिन परिस्थिति में व्यक्ति को हार नहीं माननी चाहिए- पं. शास्त्री 

देवास। ध्रुव चरित्र की कथा श्रीमद्भागवत महापुराण का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है, जो सत्य, भक्ति, और समर्पण के सर्वोत्तम उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह कथा भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए दृढ़ संकल्प और भगवान की अनुकंपा पाने के अद्भुत उदाहरण के रूप में प्रसिद्ध है। उक्त उद्गार कलश गार्डन, मेंढकी रोड पर रामांश मिश्रा के प्रथम जन्मदिन व सूरज पूजा के पावन अवसर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस कथावाचक पं. मनीष गौतम शास्त्री, बड़ा अखाड़ा, मैहर (म.प्र.) ने व्यासपीठ से कहे। आयोजक रमेश मिश्रा ने बताया कि कथा 03 जुलाई तक प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक चलेगी। कथा श्रवण के लिए बडी संख्या में श्रद्धालुजन व समाजजन कथा स्थल पर पहुंच रहे है। महाराज श्री ने आगे कहा कि ध्रुव महाराज का जन्म राजा उत्तानपाद के घर हुआ था। राजा उत्तानपाद की दो पत्नियाँ थीं सुनिता और सुनीति। सुनिता से ध्रुव महाराज का जन्म हुआ। सुरुचि ने उन्हें यह कहकर अपमानित किया कि तुम राजकुमार नहीं हो, तुम सिर्फ मेरी सौतेली माँ की संतान हो। ध्रुव के हृदय में यह बात गहरे तक चुभ गई और उन्होंने निश्चय किया कि वे अपने जीवन का उद्देश्य प्राप्त करने के लिए भगवान की आराधना करेंगे। वे घर छोडक़र तपस्या करने के लिए वन की ओर चल पड़े। ध्रुव की कथा यह सिखाती है कि जब व्यक्ति दृढ़ निश्चय और सत्य के साथ किसी भी उद्देश्य को पाने के लिए कठोर तप और भक्ति में लीन होता है, तो उसे निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। भगवान की अनुकंपा और भक्ति से जीवन के सभी लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। कभी भी किसी कठिन परिस्थिति में व्यक्ति को हार नहीं माननी चाहिए। श्रद्धा, विश्वास, और भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण से जीवन की सभी कठिनाइयाँ आसान हो सकती हैं।
कथा की पूर्णाहूति के दिन 4 जुलाई को होगी। व्यासपीठ की आरती मुख्य अतिथि पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर, पूर्व देविप्रा अध्यक्ष राजेश यादव, टीपी तिवारी, राम पदारथ मिश्र, ओपी जगावत, अरूण मिश्र, अरविन्द तिवारी, सुशील तिवारी, मधुराज मिश्रा, सुशील मिश्रा,सुरेश मिश्र, सूरज मिश्र ने की। मुख्य यजमान रमेश मिश्र एवं सुधा मिश्रा थे। कथा में आज तृतीय दिवस नृसिंह अवतार एवं प्रहलाद चरित्र की कथा होगी। कथा श्रवण करने की अपील भक्तों से की है।

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