मरहूम शायर रोशन की याद में बज्मे फनकार संस्था ने आल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया
देवास। मालवा के मशहूर शायर मरहूम रोशन की स्मृति में स्थानीय साहित्यिक संस्था बज्मे फनकार द्वारा विगत दिनों विक्रम सभा भवन में एक भव्य आल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन अल सुबह तक चला, जिसमें देशभर से नामचीन शायरों और कवियों ने शिरकत कर अदब, मोहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम दिया। मुशायरे की शुरुआत रात 10 बजे नईम अख्तर खादिमी की तिलावत-ए-कलाम-ए-पाक से हुई मौसम की खराबी और तेज बारिश के बावजूद सभा भवन रोशन साहब के चाहने वालों से खचाखच भरा रहा। इस दौरान तकनीकी दिक्कतें भी आई। करीब 5 बजे बिजली गुल हो गई, लेकिन शायरों ने बिना माइक के मोबाइल की रोशनी में अपनी रचनाएं पेश कीं, और श्रोताओं ने अंधेरे में भी इन्हें बड़े ध्यान और सम्मान से सुना। यह घटना साहित्यिक प्रेम और जुनून की मिसाल बन गई। नईम अख्तर खादिमी ने पढ़ा- तू किसी और से न हारेगा, तुझे तेरा गुरूर मारेगा..., कोटा से पधारे शायर ने कहा- हम तो दरिया हैं समंदर से नहीं आए हैं..., कान्हाला से आए भूनेव अखरकार बोले-धोके रोशनी में बहुत खाए हैं,
मैं एक ऐसा सपेरा चाहता हूँ जो आस्तीन के सांपों को पकड़े..., रेहान फारुखी ने कहा- सोचता हूँ जो मुखालिफ हैं, सरासर मेरा नाम क्यों आने लगा उनकी जुबां पर..., शऊर अबना (बुरहानपुर) बोले- वादे-वफा भी लगती है धोखा, बहार का क्या जायका यार तेरे इंकार का..., इन्धनी से आये शायर कुशायरा ने कहा- तुझसे अबेर लेना, सारी दुनिया से बैर लेना, और बन जाएगा तू शहंशाह-ए-गज़़ल..., महिला शायराओं की भी उल्लेखनीय भागीदारी रही, जिनमें शायरा नना नतीन की प्रस्तुति ने विशेष सराहना पाई: बिखरे हुए सवाल सजाने निकल गई, भूख से बच्चों को बचाने निकल गई...। अन्य प्रमुख शायर/शायरा जिनकी रचनाओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इमरान फेज (नागपुर), दिनैण भोपाली, मंगला हाथीपाली, रुपाली सम्सैना, फिरोज पेंथर, तराना अकबर, देवासी सलाउदीन, सतीस शादाब, अशरफी आता अमाल, चांद सोनी, मुलेभान आलम, इस अवसर पर इस्माइल नजर ने बिना माइक अपनी गज़़लों से समां बांधा। उन्होंने पढ़ा- वतन ही अपने आलम में अलग पहचान हो जाए, मेरा हिन्दुस्तान फिर से खुदा जैसा मेहरबान हो जाए। उनकी प्रस्तुति पर श्रोता भावविभोर हो उठे। विशिष्ट अतिथियों में मनोज राजानी, मलीन शेख, मो. अफराज़ खान, आबिद खान,अहमद हामिवाले, प्यारे पठान, सैय्यद बिलाल,जबील शेख, जावेद कान्ता, डॉ. राणा, सोनू आई, नासिर खान, मुन्ना वारसी आदि विशिष्ठ अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की निजामत इस्माइल नजर ने की, वहीं आभार प्रदर्शन शरीफ मामा ने किया। समापन पर सभी शायरों को सम्मान चिन्ह एवं पुष्पमाला से नवाज़ा गया। इस यादगार मुशायरे ने न केवल साहित्य प्रेमियों को एक सुरम्य रात दी, बल्कि देवास की साहित्यिक परंपरा में एक नई मिसाल भी कायम की।
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