देवास। भारतीय मजदूर संघ के पर्यावरण मंच द्वारा ग्राम काकड़दा पर पौधारोपण किया गया। उपरोक्त जानकारी देते हुए पर्यावरण मंच के जिला संयोजक आलोक पायलट ने बताया कि भारतीय मजदूर संघ के पर्यावरण मंच द्वारा प्रतिवर्ष 28 अगस्त को अमृता देवी बलिदान दिवस के उपलक्ष में पूरे देश में वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसी तारतम्य में देवास के ग्राम कांकड दा और सिख खेड़ी गांव के दोनों और भारतीय मजदूर संघ की औद्योगिक इकाई मध्य प्रदेश कंस्ट्रक्शन मजदूर महासंघ के प्रदेश महामंत्री मध्य प्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल भोपाल मध्य प्रदेश शासन के सदस्य के मुख्य अतिथि में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष धनंजय गायकवाड थे विशेष अतिथि के रूप में अजय उपाध्याय विभाग प्रमुख राजू लोधी, विभाग सब प्रमुख भारतीय जनता निर्माण श्रमिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौहान, प्रदेश महामंत्री माखन सिंह धाकड़, ग्राम काकड़ादा सरपंच सुमेर सिंह नागर, इंजीनियरिंग श्रमिक संगठन के महामंत्री महेंद्र सिंह परिहार, अशोक पोरवाल, ओम प्रकाश रघुवंशी, ओमप्रकाश पटेल उपस्थित रहे। इस अवसर पर कैलाश पटेल, सरपंच बलराम सोलंकी, कमल पटेल, मांगीलाल चौधरी, शिवकुमार संघवी, ज्ञान सिंह ठाकुर, राहुल गुर्जर, दिलीप गुर्जर, लखन भंडारी, विक्की राज धाकड़, जितेंद्र नागर, जीवन गुर्जर, रामेश्वर विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर विजयवर्गीय ने कहा कि जिस प्रकार व्यक्ति के जीवन में परेशानियां होती है कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ऐसे समय में अगर हमारे द्वारा लगाया गया पौधा थोड़ा वट वृक्ष के रूप में स्थापित होता है तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उसे पौधे को जाकर हमारी परेशानियां बताएं वह पौधा निश्चित रूप से परमपिता परमेश्वर के पास जाकर हमारी परेशानियों को दूर करने के लिए भगवान के पास अर्जी लगता है और भगवान उन परेशानियों को शीघ्र ही ठीक करता है यही सनातन धर्म है। क्योंकि सनातन धर्म में पौधे भी व्यक्तिगत की परेशानियों को दूर करने का कार्य करते हैं। जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों को बड़ा करने के लिए उसकी परवरिश करने के लिए उसको पढ़ना लिखने और बालिका का विवाह करने का तक की चिंता पलते हैं इसी प्रकार भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने जो आज 251 पौधे लगाए है।
उन पौधों को बड़ा करने का संकल्प लेकर आज हम यहां से जाएंगे और आने वाले समय में निश्चित इन पौधों को देख रख का संकल्प लेते हैं। इन्हें बढ़कर इन्हें फल देने के लायक और ऑक्सीजन देने के लायक बनाएंगे। क्योंकि आज देश में पर्यावरण दूषित होता जा रहा है इससे सृष्टि को निश्चित खतरा है इसका प्रभाव दुष्प्रभाव सर्वत्र दिखाई दे रहा है। प्रकृति प्रदूषित हो रही है। जल, पवन, गगन समीरा प्रदूषण से प्राणियों को स्वास लेना भी मुश्किल हो रहा है। प्रकृति का संतुलित बिगड़ने से यह वैश्विक समस्या खड़ी है। भाव प्रधान पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता के कारण सुंदर सृष्टि प्रदूषित हो गई है। हम यह अनुभव कर रहे हैं कि वर्तमान में जिस प्रकार से बादलों का फट़ना जिससे गांव के गांव उजाड़ जाना। वर्तमान विकास की अवधारणा में कालांतर में विनाश की ओर लेने ले जाने वाली है। आज पर्यावरण आधारित विकास का मॉडल के बारे में सोचना होगा । भारी उद्योग पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। महायंत्रों का उपयोग खनिज पदार्थ का दोहन जंगलों की कटाई जल का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं। दू्रतगति से बढ़ती महानगरीय संस्कृति उसका एक कारण है। भारत के अंदर जनसंख्या का विस्फोटक रूप से बढ़ाना या कहना कोई गलत नहीं होगा कि यदि धरती पर एक भी मनुष्य ना रहे तो पर्यावरण को कोई खतरा नहीं है। मनुष्य ही अपनी वासनाओं की पूर्ति के लिए पर्यावरण को खराब करता है। इस धरती पर मानव मात्र 0.1 प्रतिशत है जो 99.99 प्रतिशत प्रकृति को खराब कर रहा है। आज सारा विश्व वही समस्या से जूझ रहा है हम कह तो रहे हैं कि हमें पर्यावरण का संरक्षण करना चाहिए परंतु प्रश्न उठता है कि कौन किसकी रक्षा करता है प्रकृति हमारी या हम प्रकृति की। इस सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य ही है और विनाश के लिए करनी भूत भी वही है। पर्यावरण के हर आयाम को हम नुकसान पहुंचा ही रहे हैं। हम प्रदीप हम प्रतिज्ञा करें कि हम पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाएंगे और प्रयस होगा प्रकृति की रक्षा हम करेंगे तो प्रकृति भी हमारी रक्षा करेगी। आरक्षण टीम पारस स्पर्म आपस में हम एक दूसरे का आरक्षण करें प्रकृति की पूजा हमारी संस्कृति है हमारा पद्म पुराण तो प्रकृति का एवं वर्षों के महत्व गुणधर्म औषधि तत्वों की जानकारियां से परिपूर्ण है। बरगद, पीपल, नीम वाला बिल इनमें तो पांच तत्व विराजमान है। बरगद में अपनी बरगढ़ में अग्नि तत्व है। पीपल में वायु तत्व है नीम में आकाश तत्व है, अवल में मिट्टी तत्व है और बिल में जल तत्व है। भारत में ही आज 900 करोड़ पर पेड़ों की आवश्यकता है। हमें प्रतिवर्ष कम से कम प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ मां के नाम लगाना चाहिए क्या मेरा घर हरित घर बन सकता है। गमले में पौधे लगाना घर में तुलसी का पौधा होना ही चाहिए। आजकल गमले में सब्जियां फूल फल आदि भी लगाया जा रहा है । हम भी प्रयास कर सकते हैं जल संरक्षण जल्दी जीवन है घर में हमें पानी के ऋषभ को रोक नहाने के लिए शावर के उपयोग से बच्चे जल दुरुपयोग को रोक वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें आगंतुकों को पीने के लिए पहले आधा गिलास ही पानी देवी बैठे हुए पानी को फेक सिंगल उसे प्लास्टिक से बचाना बाजार जाते समय अपने घर में घर से झूला लेकर जाना घर में आए पॉलिथीन को सड़क पर ही फेंकना प्लास्टिक के बारे में हमें निर्मासुर चिंतन करना है रिफ्यूज करना जहां तक संभव है प्लास्टिक को ना करना प्लास्टिक उपयोग को कम से कम करना बोतल में भरकर रखना पूर्ण रूप योगी बनाना जमीन केमिकल के उपयोग से बचाना साबुन डिटर्जेंट के उपयोग से बचाना रासायनिक खाद से बचाना सब्जियों फलों के अवशेष प्लास्टिक में भरकर ना फेक जीवन के लिए दाना पानी का प्रबंध करना छात्रों के ऊपर पानी भर कर रखना आज पर्यावरण को लेकर सारा विश्व चिंतित हैक्लाइमेट चेंज का रोना रोते हुए दिखाई दे रहा है संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस दिनांक 5 जून को घोषित किया है हमारे सामने यह समस्या 5 जून को गांव में शहरों में पीने के पानी का अभाव होता है वृक्ष लगाना ही संभव नहीं होता है भयंकर गर्मी पड़ती है हम सब 5 जून को जन जागरण करें या अनिवार्य है परंतु हमारे देश के वातावरण को देखते हुए इतिहास की एक घटना याद आती है घटना राजस्थान की है जोधपुर के महाराज का महल बना था इसके लिए भारी मात्रा में लकड़ी की आवश्यकता थी खेजड़ी के जंगलों की कटाई प्रारंभ हुई अमृता देवी बिश्नोई नाम की एक महिला ने लगभग 400 से अधिक महिलाओं को लेकर विरोध प्रारंभ किया परंतु सैनिक नहीं माने तो अमृता देवी अपनी दोनों बच्चियों को लेकर पेड़ से चिपक गई उसके साथ ही सभी महिलाओं ने वृक्षों को आलिंगन किया और 363 महिलाओं ने वृक्ष बढ़ाने के लिए अपना बलिदान दे दिया विश्व के इतिहास में वृक्षों को बचाने के लिए महिलाओं द्वारा किया गया याद बहुत बलिदान है या तारीख 28 अगस्त 1730 क्या हम सभी 28 अगस्त को राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का संकल्प ले सकते हैं 28 अगस्त को पेड़ यदि लगते हैं तो वह जीवित भी रहेगा और भारतीय नारी बलिदान गाथा का स्मरण दिवस भी होगा इसलिए आज पूरे देश में भारतीय मजदूर संघ 28 अगस्त को अमृता देवी बलिदान दिवस के उपलक्ष में मना कर पौधारोपण करने का कार्य करता है इस अवसर पर धनंजय गायकवाड विभाग प्रमुख अजय उपाध्याय सरपंच सुमेर सिंह नगर ओमप्रकाश रघुवंशी ने भी संबोधित किया और अंत में आभार आलोक पायलट ने माना।
उन पौधों को बड़ा करने का संकल्प लेकर आज हम यहां से जाएंगे और आने वाले समय में निश्चित इन पौधों को देख रख का संकल्प लेते हैं। इन्हें बढ़कर इन्हें फल देने के लायक और ऑक्सीजन देने के लायक बनाएंगे। क्योंकि आज देश में पर्यावरण दूषित होता जा रहा है इससे सृष्टि को निश्चित खतरा है इसका प्रभाव दुष्प्रभाव सर्वत्र दिखाई दे रहा है। प्रकृति प्रदूषित हो रही है। जल, पवन, गगन समीरा प्रदूषण से प्राणियों को स्वास लेना भी मुश्किल हो रहा है। प्रकृति का संतुलित बिगड़ने से यह वैश्विक समस्या खड़ी है। भाव प्रधान पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता के कारण सुंदर सृष्टि प्रदूषित हो गई है। हम यह अनुभव कर रहे हैं कि वर्तमान में जिस प्रकार से बादलों का फट़ना जिससे गांव के गांव उजाड़ जाना। वर्तमान विकास की अवधारणा में कालांतर में विनाश की ओर लेने ले जाने वाली है। आज पर्यावरण आधारित विकास का मॉडल के बारे में सोचना होगा । भारी उद्योग पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। महायंत्रों का उपयोग खनिज पदार्थ का दोहन जंगलों की कटाई जल का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं। दू्रतगति से बढ़ती महानगरीय संस्कृति उसका एक कारण है। भारत के अंदर जनसंख्या का विस्फोटक रूप से बढ़ाना या कहना कोई गलत नहीं होगा कि यदि धरती पर एक भी मनुष्य ना रहे तो पर्यावरण को कोई खतरा नहीं है। मनुष्य ही अपनी वासनाओं की पूर्ति के लिए पर्यावरण को खराब करता है। इस धरती पर मानव मात्र 0.1 प्रतिशत है जो 99.99 प्रतिशत प्रकृति को खराब कर रहा है। आज सारा विश्व वही समस्या से जूझ रहा है हम कह तो रहे हैं कि हमें पर्यावरण का संरक्षण करना चाहिए परंतु प्रश्न उठता है कि कौन किसकी रक्षा करता है प्रकृति हमारी या हम प्रकृति की। इस सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य ही है और विनाश के लिए करनी भूत भी वही है। पर्यावरण के हर आयाम को हम नुकसान पहुंचा ही रहे हैं। हम प्रदीप हम प्रतिज्ञा करें कि हम पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाएंगे और प्रयस होगा प्रकृति की रक्षा हम करेंगे तो प्रकृति भी हमारी रक्षा करेगी। आरक्षण टीम पारस स्पर्म आपस में हम एक दूसरे का आरक्षण करें प्रकृति की पूजा हमारी संस्कृति है हमारा पद्म पुराण तो प्रकृति का एवं वर्षों के महत्व गुणधर्म औषधि तत्वों की जानकारियां से परिपूर्ण है। बरगद, पीपल, नीम वाला बिल इनमें तो पांच तत्व विराजमान है। बरगद में अपनी बरगढ़ में अग्नि तत्व है। पीपल में वायु तत्व है नीम में आकाश तत्व है, अवल में मिट्टी तत्व है और बिल में जल तत्व है। भारत में ही आज 900 करोड़ पर पेड़ों की आवश्यकता है। हमें प्रतिवर्ष कम से कम प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ मां के नाम लगाना चाहिए क्या मेरा घर हरित घर बन सकता है। गमले में पौधे लगाना घर में तुलसी का पौधा होना ही चाहिए। आजकल गमले में सब्जियां फूल फल आदि भी लगाया जा रहा है । हम भी प्रयास कर सकते हैं जल संरक्षण जल्दी जीवन है घर में हमें पानी के ऋषभ को रोक नहाने के लिए शावर के उपयोग से बच्चे जल दुरुपयोग को रोक वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करें आगंतुकों को पीने के लिए पहले आधा गिलास ही पानी देवी बैठे हुए पानी को फेक सिंगल उसे प्लास्टिक से बचाना बाजार जाते समय अपने घर में घर से झूला लेकर जाना घर में आए पॉलिथीन को सड़क पर ही फेंकना प्लास्टिक के बारे में हमें निर्मासुर चिंतन करना है रिफ्यूज करना जहां तक संभव है प्लास्टिक को ना करना प्लास्टिक उपयोग को कम से कम करना बोतल में भरकर रखना पूर्ण रूप योगी बनाना जमीन केमिकल के उपयोग से बचाना साबुन डिटर्जेंट के उपयोग से बचाना रासायनिक खाद से बचाना सब्जियों फलों के अवशेष प्लास्टिक में भरकर ना फेक जीवन के लिए दाना पानी का प्रबंध करना छात्रों के ऊपर पानी भर कर रखना आज पर्यावरण को लेकर सारा विश्व चिंतित हैक्लाइमेट चेंज का रोना रोते हुए दिखाई दे रहा है संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस दिनांक 5 जून को घोषित किया है हमारे सामने यह समस्या 5 जून को गांव में शहरों में पीने के पानी का अभाव होता है वृक्ष लगाना ही संभव नहीं होता है भयंकर गर्मी पड़ती है हम सब 5 जून को जन जागरण करें या अनिवार्य है परंतु हमारे देश के वातावरण को देखते हुए इतिहास की एक घटना याद आती है घटना राजस्थान की है जोधपुर के महाराज का महल बना था इसके लिए भारी मात्रा में लकड़ी की आवश्यकता थी खेजड़ी के जंगलों की कटाई प्रारंभ हुई अमृता देवी बिश्नोई नाम की एक महिला ने लगभग 400 से अधिक महिलाओं को लेकर विरोध प्रारंभ किया परंतु सैनिक नहीं माने तो अमृता देवी अपनी दोनों बच्चियों को लेकर पेड़ से चिपक गई उसके साथ ही सभी महिलाओं ने वृक्षों को आलिंगन किया और 363 महिलाओं ने वृक्ष बढ़ाने के लिए अपना बलिदान दे दिया विश्व के इतिहास में वृक्षों को बचाने के लिए महिलाओं द्वारा किया गया याद बहुत बलिदान है या तारीख 28 अगस्त 1730 क्या हम सभी 28 अगस्त को राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का संकल्प ले सकते हैं 28 अगस्त को पेड़ यदि लगते हैं तो वह जीवित भी रहेगा और भारतीय नारी बलिदान गाथा का स्मरण दिवस भी होगा इसलिए आज पूरे देश में भारतीय मजदूर संघ 28 अगस्त को अमृता देवी बलिदान दिवस के उपलक्ष में मना कर पौधारोपण करने का कार्य करता है इस अवसर पर धनंजय गायकवाड विभाग प्रमुख अजय उपाध्याय सरपंच सुमेर सिंह नगर ओमप्रकाश रघुवंशी ने भी संबोधित किया और अंत में आभार आलोक पायलट ने माना।

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