श्री राम द्वारा में भागवत कथा,धार्मिक ग्रंथ जीवन को प्रकाशित करते हैं..स्वामी रामनारायण जी
देवास। धार्मिक ग्रंथ जीवन को प्रकाशित करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को भागवत कथा एवं अन्य धार्मिक ग्रंथ का श्रवण करना चाहिए।यह विचार श्री राम द्वारा में भागवत कथा के अंतर्गत स्वामी रामनारायण जी ने प्रकट किए। उन्होंने कहा कि ईश्वर की भक्ति निस्वार्थ भावना से करना चाहिए। कभी भी मन में ईश्वर के अस्तित्व के प्रति संशय नहीं रखना चाहिए । उन्होंने सुखदेव मुनि एवं राजा परीक्षित के बीच हुए संवादों का विस्तार से वर्णन किया। भागवत कथा सभी प्रकार के दुख दूर करके मानसिक शांति और भगवान की कृपा प्रदान करती है। कथा सुनकर उसका जीवन में पालन करना चाहिए। सुख दुख आते जाते रहते हैं लेकिन इनके कारण मन को विचलित नहीं होने देना चाहिए। कितना ही अंधेरा हो सूरज जरूर निकलता है।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में विश्व कल्याण की भावना निहित है। प्रत्येक व्यक्ति को अपना कर्म पूर्ण करना चाहिए। कर्मफल से कोई नहीं बच सकता। आपकी चल अचल संपत्ति के एक या अनेक उत्तराधिकारी हो सकते हैं लेकिन कर्म का उत्तराधिकारी स्वयं व्यक्ति होता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा सत्कर्म में संलग्न रहना चाहिए।
प्रातः काल व्यास पीठ का पूजन रामस्नेही सत्संग मंडल ने किया ।संत राम सुमिरन जी ने रामचरण जी महाराज की वाणी जी का पाठ किया एवं बाल संत पुनीत राम जी ने निर्गुणी भजन प्रस्तुत किए कथा का समय दोपहर एक से पांच बजे तक रखा गया है।

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