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पेंशनर संघ देवास के 45 सदस्यों ने मांडव टूर का जी भर आनंद लिया

पेंशनर संघ देवास के 45 सदस्यों ने मांडव टूर का जी भर आनंद लिया
देवास। पेंशनर संघ जिला देवास के इतिहास के पन्नों में पेंशनर्स के 45 सदस्यों का एक दिवसीय मांडव टूर अपनी अलग छाप छोड़ गया। यह टूर 25 फरवरी को प्रात 7 बजे शर्मा ट्रेवल्स की बस से रवाना हुआ, रास्तेे में चाय पान के बाद प्रातःकाल की सुरम्य बेला में मांडव पहुंचा। सबसे पहले चतुर्भुज राम मंदिर, जामी मस्जिद, जहाज महल, हिंडोला महल, दाई महल, इको पाईंट, रेवा कुंड, बाज बहादुर का महल, रानी रूपमती का महल, नील कंठेश्वर महादेव। इस टूर में पं. देवी शंकर तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मोहरी, प्रदेश कार्य समिति सदस्य ओ.पी. सोलंकी, जिला कोषाध्यक्ष अशोक चौहान, टूर प्रभारी घनश्याम चौहान, मांगीलाल सोलंकी, जी.एस.जलखेडिया, प्रकाश चौधरी, हेमलता परिहार, सीतादेवी चौहान, अरविंद शर्मा, डॉ. प्रज्ञा शर्मा, दीपक यादव, प्रहलाद गोलिया, रतनलाल मालवीय, नंदकिशोर वर्मा, गेंदालाल पटेल, डी.के.जोशी, अम्बाराम पांचाल, छीतरसिंह परमार, देवदास चौहान, दिनेशचंद्र गुप्ता, बाबूलाल गेहलोत, सत्यनारायण शालूू, दीपक मोहरी, लक्ष्मीनारायण शर्मा, विक्रमसिंह पटेेल, जगदीशचंद्र जायसवाल, माया परमार आदि सम्मिलित हुए। परमार वंशीय राज बहादुर की पत्नी रूपमति की इच्छानुसार नर्मदा के दर्शन करने के लिए ऐसी उंचाई पर महल बनाया कि रानी रोजाना नर्मदा के दर्शन कर सके। विध्यांचल की पहाडियों के बीच ऐतिहासिक काल में निर्मित प्राचीन महलों की श्रृंखला हर किसी का मन मोह लेती है। हजारों साल बने स्नानागार उस समय की वैज्ञानिक प्रगति को उजागर करते है। यह विचार ओ.पी. सोलंकी ने व्यक्त किए। जिला सचिव अरविंद शर्मा ने अपनी टिप्पणी देते हुए बताया कि यह एक दिवसीय मांडव यात्रा सुखद एवं जीवन के श्रेेष्ठ अनुभव में से एक रही। हेमलता परिहार ने बताया कि अपने प्रतिष्ठित स्मारक महल तथा प्राकृतिक सौंदर्य के लिए यह स्थान हमेशा याद रहेगा। टूर प्रभारी घनश्याम चौहान ने इस टूर को अत्यंत आनंददायक कहा तथा मांडव के प्रसिद्ध दाल पानिये का आनंद सबके लिए आनंद दायक रहा। डी.के.जोशी ने बताया कि स्थापत्य कला के बेजोड नमूने को समेटे विध्यांचल पर्वत की वादी में बसा सुरम्य नगर मांड जिसे अब मांडव कहा जाने लगा है, जिसे एक बार आने के लिए बर्बस मजबूर कर देगा। रानी रूपमती और बाज बहादुर केे निश्चल प्रेेम प्रवाह की सरिता में गोते लगाकर अपने को धन्य कर लिया। यह महल आज शासन के संरक्षण की आवश्यकता महसूस करता है। जिलाध्यक्ष पं. देवीशंकर तिवारी ने बताया कि मांडव प्रेम और संगीत की अविरल निरर्झरनी है।

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