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अमलतास विश्वविद्यालय देवास में कर्मयोगी बनो कार्यशाला का भव्य आयोजन

अमलतास विश्वविद्यालय देवास में कर्मयोगी बनो कार्यशाला का भव्य आयोजन 

देवास। अमलतास विश्वविद्यालय में 12 मार्च को एक दिवसीय कार्यशाला कर्मयोगी बनो का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को कर्मयोग के सिद्धांतों से अवगत कराना और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना था। कार्यक्रम में प्रतिष्ठित अतिथियों ने हिस्सा लिया और अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रणेश्वर दासजी महाराज (क्षेत्रीय सचिव, इस्कॉन, मध्य प्रदेश) और डॉ. राजेंद्र कुमार जैन थे। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शरद चंद्र वानखेड़े के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने कर्मयोग के महत्व और उसके दैनिक जीवन में प्रभाव पर प्रकाश डाला।
अपने संबोधन में प्रणेश्वर दासजी महाराज ने कहा कि कर्मयोग केवल एक आध्यात्मिक विचार नहीं है, बल्कि यह जीवन का वास्तविक दर्शन है। उन्होंने बताया कि निष्काम कर्म और सेवा भाव से किया गया कार्य ही सच्चा योग है, जो व्यक्ति को आत्मिक शांति और सफलता दिला सकता है। वहीं, डॉ. राजेंद्र कुमार जैन ने कर्मयोग को आधुनिक जीवनशैली और कार्यक्षेत्र में लागू करने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी कार्य को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ करना ही कर्मयोग है, और यह सिद्धांत न केवल आध्यात्मिक बल्कि पेशेवर सफलता के लिए भी आवश्यक है। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कई महत्वपूर्ण अधिकारी एवं शिक्षाविद, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. ए. के. पीठवा (डीन),डॉ. संगीता तिवारी (प्राचार्य, नर्सिंग),डॉ. अनीता घोड़के (प्राचार्य, आयुर्वेद),डॉ. योगेंद्र भदौरिया (प्राचार्य, होम्योपैथी),डॉ. नीलम खान (प्राचार्य, फार्मेसी),डॉ. आस्था नागर (डीन, मैनेजमेंट),डॉ. अंजलि मेहता (प्राचार्य, पैरामेडिकल),डॉ. मनीष शर्मा (महाप्रबंधक),डॉ. रोशन लाल कहार (उप-रजिस्ट्रार) डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. नेहा गौर, मार्केटिंग डायरेक्टर अश्विन तंवर शामिल हुए। अंत में, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार संजय रामबोले ने सभी अतिथियों, आयोजकों और उपस्थितजनों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन छात्रों के मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास में सहायक होते हैं और कर्मयोग के सिद्धांतों को जीवन में अपनाकर हम सभी अपने कर्तव्यों को और बेहतर ढंग से निभा सकते हैं। कर्मयोगी बनो कार्यशाला में कर्मयोग के महत्व को उजागर किया और यह संदेश दिया कि सफलता का असली मंत्र निष्काम कर्म है। उपस्थित सभी अतिथियों और छात्रों ने इस कार्यशाला को अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

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