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क्षिप्रा में दशदिवसीय संस्कृत-संभाषण-शिविर संपन्न

क्षिप्रा में दशदिवसीय संस्कृत-संभाषण-शिविर संपन्न 
देवास। क्षिप्रा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्षिप्रा में प्राचार्य राजीव सूर्यवंशी के सफल मार्गदर्शन में 19 से 28 अप्रैल 2025 तक आयोजित  संस्कृत-संभाषण-शिविर के समापन-कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी हरिसिंह भारतीय तथा विशेष अतिथि के रूप में विकासखंड शिक्षा अधिकारी अजय सोलंकी एवं कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में प्राचार्य राजीव सूर्यवंशी रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ माता सरस्वती के पूजन एवं उनके सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ । वैदिक मंगलाचरण गगन तिवारी द्वारा किया गया। माता सरस्वती की वंदना कविता तिवारी ने प्रस्तुत की। संस्कृत भारती का ध्येयमंत्र संस्कृत शिक्षक कृष्णकांत शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया। अतिथियों में  जिला शिक्षा अधिकारी का स्वागत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य राजीव सूर्यवंशी ने किया,विशेष अतिथि अजय सोलंकी का स्वागत राजकुमार पटेल के द्वारा किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं  संस्था के प्राचार्य राजीव सूर्यवंशी का स्वागत रजनीश मलतारे के द्वारा किया गया।संस्कृत शिक्षक कृष्णकान्त शर्मा द्वारा अतिथियों का शब्दों एवं स्वागत गीत के माध्यम से देववाणी संस्कृत में स्वागत किया गया।सारस्वत विद्वान तथा कार्यक्रम के संचालक गगन तिवारी का स्वागत समस्त अतिथियों ने मिलकर  किया। कार्यक्रम अंतर्गत एक संस्कृत गीत सुरस सुबोधा कक्षा बारहवीं की छात्राओं रिया विश्वकर्मा तथा प्रीति सोलंकी द्वारा प्रस्तुत किया गया। गीता के श्लोकों का गायन तथा उनका भावार्थ हिंदी के शिक्षक राजकुमार पटेल द्वारा प्रस्तुत किया गया। सप्तश्लोकी दुर्गा आंग्लभाषा की शिक्षिका अनीता यादव द्वारा प्रस्तुत की गई। आंग्लभाषा की शिक्षिका मुक्ता शर्मा के द्वारा देव-स्तुति-मन्त्र प्रस्तुत किये गए। संस्कृत गीत मृदपिच चन्दन उमा दुबे द्वारा गाया गया। कक्षा ग्यारहवीं के विद्यार्थी हेमंत कम्मालिया ने नीतिश्लोक प्रस्तुत किए। प्रीति राजकुमार सोलंकी ने मम दिनचर्या इस विषय पर अपनी पूरी दिनचर्या प्रातः उठने से लेकर रात्रि सोने तक संस्कृत में प्रस्तुत की। नन्दिनी कुशवाह ने चतुरः काकः संस्कृत कथा प्रस्तुत की। उपासना तिवारी ने सुंदरकांड अंतर्गत भगवान राम एवं श्री हनुमान जी के श्लोकों के साथ  रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में वर्णित शिव स्तुति का गायन किया। अर्जुन सिंह बैस, शशि नागर और उमा भटेले ने संस्कृत भाषा के महत्व को बताते हुए दशदिवसीय-संभाषण-शिविर संबंधी अपने अनुभवों को साझा किया।विशेष अतिथि  अजय सोलंकी ने कहा कि संस्कृतभाषा और भारतीय संस्कृति एक दूसरे के पूरक है।अतः भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए संस्कृत भाषा का सीखना नितांत आवश्यक है। आपने शिक्षकों को कुछ नवाचार करने एवं कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित किया। मुख्य अतिथि  जिला शिक्षा अधिकारी हरि सिंह भारतीय  ने विभिन्न श्लोकों के माध्यम से अपनी बात को रखते हुए यह बताया कि संस्कृत का ज्ञान प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत आवश्यक है। इस प्रकार के शिविरों का आयोजन संपूर्ण जिले में होना चाहिए। समापन कार्यक्रम के अध्यक्ष तथा विद्यालय के प्राचार्य राजीव सूर्यवंशी ने संस्कृत भाषा के महत्व को प्रकाशित करते हुए सभी से संकल्प दिलवाया कि हम मोबाइल का उपयोग करते समय हरिओम, नमो नमः ,सुप्रभात, शुभ रात्रि जैसे शब्दों का अवश्य प्रयोग करेंगे । अंग्रेजी भाषा की शिक्षिका रेणुका राठौर ने उपस्थित अतिथियों , उपस्थित सभी विद्यार्थियों एवं शिक्षक शिक्षिकाओं का संस्कृत भाषा में आभार माना। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत शिक्षक एवं जनपद शिक्षा केन्द्र देवास के विकासखंड एकेडमिक समन्वयक गगन तिवारी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक कैलाश चंद्र सोनी, आदिल खान पठान एवं हबीब शेख की उपस्थिति पूरे कार्यक्रम में रही । कार्यक्रम की व्यवस्था में बाबूलाल पटेल, कमलदीप बैरागी, रितेश कौशल, खान सर, जसवंत सिंह, राजेश यादव, दीपक परिहार, विशेष बैरागी, मिथिलेश, विशाल,जावेद खान, हेमचन्द्र मालवीय, नीलिमा शाह, रेखा सिंह, योगेश्वरी निम्बोरिया, राजश्री चिंचोलीकर एवं उनका स्टॉफ, लक्ष्मी गाडरिया, किरण, रजनी, मनीष दीक्षित, प्रवीण आशापुरे, रिजवान मंसूरी, दशरथ के साथ प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय  के समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यालय परिवार के एक एक सदस्य के अथक प्रयत्नों से यह दशदिवसीय संस्कृत-संभाषण-शिविर एवं आज का समापन-कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ। यह जानकारी दशदिवसीय संस्कृत-संभाषण-शिविर के प्रशिक्षक ,संस्कृत शिक्षक, जिला संस्कृत प्रकोष्ठ प्रभारी एवं संस्कृतभारती के विभाग-संयोजक  कृष्णकांत शर्मा  द्वारा दी गई ।


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