अल्प विराम स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार होता है - प्रो. डां. समीरा
देवास। जिंदगी को आनंदमय बनाने के लिए अल्प विराम के माध्यम से स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार कर जीवन पथ की बाधाओं को दूर किया जा सकता है। उक्त विचार आनंद विभाग की संभागीय कोआर्डिनेटर प्रो.डां.समीरा नईम ने स्थानीय आनंद ग्राम सोबल्यापुरा में सरपंच अनुबाई परिहार की उपस्थिति में आयोजित अल्प विराम कार्यक्रम के दौरान उपस्थित ग्रामीणों को कार्यक्रम में सहभागी बनाकर व्यक्त किये। उन्होंने कहा हमारी भावनाएं हमारे व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। भावनाएं हमारे आंतरिक संस्कारों को भी गढ़ती है। यही सामाजिक परिवेश में हमारी भूमिका तय करती है। अच्छी भावनाओं यानी सद्भावना से भरा व्यक्ति समाज में सभी का प्रिय होता है। वास्तव में दूसरे के समग्र कल्याण का भाव रखना, उसकी उन्नति का विचार रखना ही सद्भावना है। जब हम किसी के प्रति सद्भावना व्यक्त करते हैं तो एक अदृश्य ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो सामने वाले को संबल एवं प्रसन्नता प्रदान करती है। सद्भावनाएं सदैव वापस लोटकर आपके लिए सकारात्मक कार्य करती है। आंनदक कृपाली राणा ने स्वयं के बाल्यकाल के पारिवारिक अनुभवों को साझा किया, सौफीया कुरैशी और पूनम शुक्ला के द्वारा भी सकारात्मक भावों को उत्पन्न कर जीवन को नवसृजित करने का प्रयास करने की अपील की। कार्यक्रम की शुरुआत में आनंदक पवन परिहार ने राज्य आनंद संस्थान के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इस मौके पर विक्रम सिंह बघेल, रूपसिंह चंदेल, गुलाब सिंह काग,महेश काग, जयपाल वीस्कीया, अनारसिंह चंदेल, जगदीश चंदेल, भोलू बघेल, मोहन मौर्य, सुखराम डाबर, संतोष कनेल, विकास देवड़ा,पारुबाई भार्गव आदि बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे। स्वामी विवेकानंद स्कूल के सद्गुरु काग, सचिव मनोज पंवार, रोजगार सहायक जगदीश मुजाल्दे का सराहनीय योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन आनंद विभाग के प्रहलाद चौहान ने किया व मानव उत्थान सेवा समिति के लक्ष्मण सिंह परिहार ने आभार प्रकट किया।
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