शास्त्रीय एवं वेस्टन संगीत की ताल ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
राग मेघ मल्हार की बंदीश ने बांधा समा।
21 जुन विश्व संगीत दिवस के उपलक्ष्य में तालस्वरांजलि संगीत संस्थान एवं अथर्व मूर्तिकला केन्द्र के संयुक्त प्रयास से भव्य संगीत समारोह का आयोजन किया गया।
देवास/: विश्व संगीत दिवस के अवसर पर नगर के संगीत प्रेमियों के लिए यह दिन खास रहा। तालस्वरांजली संगीत संस्थान व अथर्व मूर्तिकला केंद्र के सँयुक्त प्रयास से आयोजित संगीत संध्या में स्थानीय संगीत प्रेमियों से कलाकारों ने खूब दाद बटोरी। महाराष्ट्र समाज भवन में आयोजिय इस कार्यक्रम समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सदाशिव जोशी,श्री उज्जवल मुंगी एवं युवा इतिहासविद व स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर अमित राव पवार ने सर्व प्रथम द्वारा माँ सरस्वती,भगवान श्री गणेश के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
जिसके बाद घुंघरू नृत्य केन्द्र एकडेमी की छात्राओं द्वारा माँ सरस्वती व गणेश वंदना पर नृत्य प्रस्तुत किया गया।जिसके पश्चात संगीत के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध गायकों,वादकों ने मंच पर अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। मुख्य कार्यक्रम के तहत डाँ.अनंत पुरंदरे ने संतुर पर प्रमोद बेहरे व सारंग पुरंदरे ने वायलिन पर राग हंसध्वनि की प्रस्तुति दी। वहीं तबले पर इनका बखुबी साथ नवयुवा तबला वादक हार्दिक कवचाले ने,इस तिगल बंदी ने श्रेताओं को बहुत ही आकर्षित किया।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में अंतरराष्ट्रीय कलाकार ओम पाटीदार ने वर्षा ऋतु को देखते हुए राग मेघ मल्हार की बंदीशे प्रस्तुत की,कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में अंशुल गोस्वामी,योगेश दुबे ने गीतों एवं ग़ज़लों की शानदार प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम के तिसरे व अंतिम चरण में तालस्वरांजलि संस्थान के अनुप राजे पवार के संगीत संयोजन में फ्युजन की प्रस्तुति दि गयी इस वाद्य वृंद में काना जमड़ा किबोर्ड,ड्रम्स पर जय वर्मा ने उत्कृष्ट संगत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
इस अवसर पर देवास संगीत जगत के प्रबुद्धजनों में वासुदेव तायडे,संजीवनी कांत,पूर्णानंद शास्त्री,मनोज भावसार, कार्यक्रम के अंत तक उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन कर रहे पियूष मुंगी ने कहा कि हम आने वाले समय मे भी ऐसे संगीत के आयोजन करते रहेंगे जिससे नगर में अच्छे संगीत को बढ़ावा मिल सके। कार्यक्रम के अंत में श्रोताओं द्वारा सराहना करते हुए कहा कि "संगीत न केवल आत्मा को शांति देता है,बल्कि समाज को जोड़ने का कार्य भी करता है। ऐसे आयोजनों से सांस्कृतिक चेतना को बल मिलता है।"
कार्यक्रम उपरांत तालस्वरांजलि संस्थान के अनूप पवार ने सभी कलाकारों,दर्शकों व सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए आगामी वर्षों में और भी भव्य आयोजनों की आशा व्यक्त की।यह कार्यक्रम न केवल कला के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा, बल्कि नवोदित कलाकारों को मंच देने की एक सार्थक पहल भी सिद्ध हुआ।इस अवसर पर संस्कार भारती का भी सहयोग रहा।
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