43 वर्ष बाद देवास पहुंची सदगुरु कबीर नवोदय यात्रा, निकली भव्य शोभायात्रा
- मानवता, भक्ति और सत्य का संदेश लेकर निकली आध्यात्मिक चेतना की यात्रा
देवास। देवास की पुण्य भूमि पर 43 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद सदगुरु कबीर नवोदय यात्रा का पावन आगमन हुआ। यह यात्रा देशभर में सदगुरु कबीर धर्मदास वंशावली मिशन अभियान के अंतर्गत चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य कबीर साहब के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना और समाज में नवचेतना का संचार करना है। सदगुरु कबीर नवोदय यात्रा का नेतृत्व अटल 42 वंश के वर्तमान पंथार्य हुजूर प्रकाश मुनिनाम साहेब की छत्रछाया में 16वें पंथ आचार्य पंथश्री हुजूर उदितमुनि नाम साहेब कर रहे हैं। देवास में इस यात्रा का आगमन शनिवार 14 जून को दोपहर 3 बजे हुआ।
निकली भव्य शोभायात्रा
स्थानीय शुक्रवारिया लाल गेट से गीता भवन तक शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में कबीर पंथ के अनुयायी शामिल हुए। मार्ग में अनेक स्थानों पर फूल बरसाकर यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। यात्रा के साथ उत्साह, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम देखने को मिला।
गीता भवन में सत्संग सभा एवं प्रवचन
गीता भवन पहुँचने पर पंथश्री उदितमुनि नाम साहेब द्वारा दीप प्रज्वलन कर सत्संग सभा का शुभारंभ किया गया। अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि सदगुरु कबीर नवोदय यात्रा का उद्देश्य समाज को मानवता, भक्ति और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कबीर साहब की वाणी के माध्यम से आत्मजागृति, सेवा और करुणा का संदेश दिया। उन्होंने कहा, अपने भीतर के मनुष्य को जगाओ, समाज की सेवा करो और सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव रखो। यही कबीर साहब की सच्ची भक्ति है।
भंडारा और अन्य आयोजन
इस अवसर पर गीता भवन परिसर में सुबह 10 बजे से विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद युवा सभा, महिला मंडल सभा और शाम को सदगुरु कबीर आश्रम जैतपुरा में निशान पूजा के साथ सभा का समापन किया गया।
सफल आयोजन में इनका रहा योगदान
इस दिव्य आयोजन को सफल बनाने में केडीवी मिशन अध्यक्ष नंदकिशोर मालवीय, उप प्रतिनिधि गब्बर मालवीय, परोपकारी अध्यक्ष भंवरलाल जी, महिला प्रतिनिधि आशा धन्नालाल, सलाहकार महंत बालकदास साहेब, गब्बर परमार, छोटू परमार, नरेन्द्र नागर, अध्यापक बद्रीलाल मालवीय, दिनेश मालवीय, मोहन मालवीय, गोरधन मण्डलोई सहित जिले व ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा। यह यात्रा न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह समाज को एकजुट कर मानवता के मूल मूल्यों की ओर लौटने का सशक्त माध्यम बन रही है।
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