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बाल कीर्तनकार रघुराज निमकर की प्रभावशाली प्रस्तुति ने श्रोताओं का मन मोह लिया

बाल कीर्तनकार रघुराज निमकर की प्रभावशाली प्रस्तुति ने श्रोताओं का मन मोह लिया
देवास। "पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं" — इस कहावत को साकार करते हुए पुणे के ग्यारह वर्षीय बाल कीर्तनकार श्री रघुराज निमकर ने श्री दत्त उपासक मंडळ द्वारा आयोजित गुरु चरित्र सप्ताह में अपनी ओजस्वी एवं भावपूर्ण कीर्तन प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रघुराज ने अपने शुद्ध पाठांतर, सजीव हाव-भाव, सुमधुर आवाज और प्रभावशाली शैली से सभी श्रोताओं का दिल जीत लिया।
उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास स्वामी के प्रसंग सुनाए और उनके लिखे गए 205 मनाचे श्लोक तथा प्रसिद्ध ग्रंथ दासबोध को आज के युग में " लाइफ स्टाइल ऑफ़ मैनेजमेंट" के रूप में प्रस्तुत किया।
     उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक "यदा यदा ही धर्मस्य..." की व्याख्या करते हुए कहा कि, "गीता भवन में ही इसका अर्थ बताना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।" इस पर श्रोताओं ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया। अपने कीर्तन में उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रसाल बुंदेला और कवि भूषण जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों का उल्लेख करते हुए उनके प्रेरणादायक प्रसंग सुनाए। उन्होंने कवि भूषण के छंदों की भी सजीव प्रस्तुति दी, जिससे वातावरण भावविभोर हो गया। कार्यक्रम के अंत में दीपक कर्पे ने पुष्पहार अर्पण कर उनका स्वागत किया। उपस्थित श्रोताओं में से शीलनाथ आरस, अजय कानूनगो, वंदना कुलकर्णी, दिनेश सुपेकर, मुकुंद अष्टेकर, सदाशिव जोशी आदि ने उन्हें उपहार भेंट कर सम्मानित किया। सौ. संगीता सुपेकर ने कार्यक्रम का आभार प्रकट किया। मंडल के कार्यकर्ता दीपक कर्पे ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम की सफलता में दिलीप बाकरे, हेमंत व्यवहारे, उदय कस्तुरे, अनंत पुराणिक, नचिकेत मनोहर, अविनाश जोशी आदि का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।

भवदीय 
अनिल बेलापुरकर 
9425494293

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