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हमें प्रत्येक श्रमिक, इंजीनियर में भगवान विश्वकर्मा के दर्शन करना चाहिये- विजयवर्गीय

हमें प्रत्येक श्रमिक, इंजीनियर में भगवान विश्वकर्मा के दर्शन करना चाहिये- विजयवर्गीय
देवास। भारतीय मजदूर संघ के मीडिया प्रभारी निलेश नागर ने बताया कि प्रदेश आव्हान पर भगवान विश्वकर्मा जयंती कार्यालय समर्पण कृष्णा नगर में पूजन आरती कर धूमधाम से मनायी गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि म.प्र. शासन कर्मकार कल्याण मंडल सदस्य म.प्र. कंस्ट्रक्शन मजदूर महासंघ भारतीय मजदूर संघ औद्योगिक इकाई प्रदेश महामंत्री लोकेश विजयवर्गीय थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष धनंजय गायकवाड ने की। विशेष अतिथि विभाग प्रमुख अजय उपाध्याय, ओमप्रकाश रघुवंशी, इंजीनियरिंग श्रमिक संगठन महामंत्री महेन्द्रसिंह परिहार थे। उपाध्याय ने संगठन गीत चंदन है इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम है की प्रस्तुति दी। पधारे अतिथियों का स्वागत माखनसिंह धाकड़, निलेश नागर, प्रवीण मिश्रा, सुरेन्द्र कुमार सोनी, दगा पाटिल, प्रमोद आचार्य, देवेन्द्र, दिलीप तिवारी, जनार्दन पैठनकर, कुमार विश्वकर्मा, विनोद पांडे, रामेश्वर धाकड़, सुशीला मालवीय ने भगवा अंग वस्त्र से किया। भारत माता, भगवान विश्वकर्मा, राष्ट्र ऋषि संत दन्तोपन्त ठेगडी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर लोकेश विजयवर्गीय ने सम्बोधित करते हए कहा कि भगवान विश्वकर्मा की जयंती भारतीय मजदूर संघ पूरे सप्ताह राष्ट्रीय श्रमि दिवस के रूप में मना रहा है। श्रमिक श्रम करने के लिए नहीं जीता बल्कि मनुष्य की भांति जीने के लिये श्रम करता है। मानव प्रकृति का इस प्रवत्ति में वह दिव्यता गरीमा होती है। प्रत्येक मनुष्य श्रमिक है। धरती, आसमान, आग, पानी तथा हवा उसकी सामग्री है। जिसके बल पर वह अने और न्याय आधारित आदर्शो के अनुरूप पृथ्वी पर बेहतर से बेहतर श्रम की श्रेष्ठता रखता है। इसलिए हमें प्रत्येक श्रमिक एवं इंजीनियर में भगवान विश्वकर्मा दिखाई देता है जो सत्य है।वह दर्शन के रूप दिखाता हैं। भगवान के दर्शन करना चाहिये। संसार के श्रमिकों के शिल्पकारों को श्रम का पूरा पूरा वेतन या फल नहीं मिल पाता है यह वरदान प्रकृति ने सिर्फ चेतना संपन्न मानव को ही दिया है। आज हम सब यह प्रतिज्ञा लेकर जाए कि उद्योगपति द्वारा हमारा शोषण जो किया जा रहा है उसके खिलाफ एकजुट होकर हमें अपने अधिकार की और आगे बढ़ना होगा। इस अवसर पर उपाध्याय, गायकवाड एवं रघुवंशी ने भी सम्बोधित किया। संचालन माखनसिंह धाकड़ ने किया तथा आभार महेन्द्रसिंह परिहार ने माना।

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