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मल्हार स्मृति मंदिर में लोक गीत, भक्ति गायन और नृत्य नाटिका की हुईं प्रस्तुतियाँ

मल्हार स्मृति मंदिर में लोक गीत, भक्ति गायन और नृत्य नाटिका की हुईं प्रस्तुतियाँ

देवास: 22 सितम्बर 2025 [शकील कादरी] संस्कृति विभाग, म.प्र. शासन द्वारा शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर “शक्ति पर्व” का आयोजन  मल्हार स्मृति मंदिर में किया गया। इस अवसर गुना के दशरथ लाल पारोची का लोकगायन और नर्मदापुरम् की दामिनी पठारिया के भक्ति गीतों की प्रस्तुतियां हुईं तो इंदौर की कविता तिवारी एवं साथी नृत्यांगनाओं ने नृत्य नाटिका “दुर्गाचरितम्” को मंच पर जीवंत किया।
आदि शक्ति की भक्ति में डूबे कलारसिकों के मध्य गुना के दशरथ लाल पारोची ने गणेश वंदना गणराज चले आना... से सभा का आगाज किया। माता की भक्ति में ओत-प्रोत श्रोताओं को जय दुर्गे तुम्हारे मंदिर में दीप जलाया जाता हैं..., आनंद आ रहा है मैया तेरी भक्ति में..., आज दरस को आती है दरबार में दुनिया..., काली कंकाली अम्बे मां जग तारणि... और संसार सागर से पार करे मैया... जैसे लोक गीत पेश किये।
                      समारोह की अगली कड़ी में इंदौर की कविता तिवारी एवं साथियों ने नृत्य नाटिका “दुर्गाचरितम्” के माध्यम से माता के शक्ति स्वरूप और धर्म की स्थापना की कथा को मंच पर जीवंत किया। 25 मिनट की इस प्रस्तुति में 7 कलाकारों ने कथक नृत्य शैली और भावाभिनय के अनूठे संगम को दिखाया। यह नाटिका माँ आदिशक्ति दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध के प्रंसग पर आधारित रही। कथा के आरंभ में दिखाया गया कि महिषासुर के अत्याचारों से सम्पूर्ण धरा पर त्राही मची हुई थी। उसने देवलोक पर भी अपना शासन स्थापित कर लिया था। देवता असहाय होकर ब्रह्मा, विष्णु और शिव से प्रार्थना करते हैं। उनके क्रोध और तेज से प्रकट हुई दिव्य ज्योति से माँ दुर्गा का अवतरण होता है। सभी देवता उन्हें अपने-अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र अर्पित करते हैं।  देवी और महिषासुर के बीच भीषण युद्ध होता है। अंततः माँ दुर्गा महिषासुर का संहार कर देवताओं और समस्त जगत का कल्याण करती हैं। नाटिका का समापन माँ की स्तुति और “जय दुर्गा भवानी” की वंदना से हुआ।
                 इस सुमधुर शाम का समापन नर्मदापुरम् की दामिनी पठारिया के भक्ति गीतों से हुआ। दामिनी ने गणेश वंदना देवा श्रीगणेशा... पेश कर गणराज की स्तुति की। कार्यक्रम को विस्तार देते हुए जैसे ही उन्होंने अयिगिरि नन्दिनी नन्दिती मेदिनि... गीत पेश किया तो पंडाल माता रानी के जयकारों से गूँज उठा। इसके पश्चात अंगना पधारो..., हो मैया मोरी खोलो किवड़िया...,  आल्हा की ध्वजा नहीं आई हो माँ..., देर ना लगाना मैया जल्दी आना..., दुल्हनिया रे... और लट खोल के नाचो मेरी माये कि नैना रतन जड़े... गीत पेश किए। भक्ति की शक्ति को जाग्रत करते हुए दामिनी ने ओ माँ मेरी पत, रखियो सदा लाटावालिए..., छूम-छूम छननना…, मैया है मेरी शेरावाली… जैसे गीत गाकर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया।

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