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कलाव्योम फाउंडेशन का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न

कलाव्योम फाउंडेशन का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न
देवास। कलाव्योम फाउंडेशन द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन शुक्रवार, 21 नवंबर को मल्हार स्मृति मंदिर में साहित्यिक गरिमा और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आईएएस एवं मध्यप्रदेश शासन के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरि ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि इस प्रकार के आयोजन किसी भी शहर की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाते हैं तथा समाज जागरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए लोगों के बौद्धिक विकास में सहायक होते हैं। उन्होंने इंदौर के प्रसिद्ध स्वच्छता गीत हो हल्ला के लेखन के पीछे की प्रेरणाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार गीत और साहित्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि कविता मनुष्य के भीतर बसे उस सूक्ष्मतम भाव को स्वर देती है, जो अक्सर शब्दों में ढल नहीं पाता। कवि अपने शब्दों से केवल कविता ही नहीं रचते, बल्कि समय की दिशा और समाज की आत्मा को भी अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्ष अरुणा सोनी ने अपने उद्बोधन में कहा कि देवास में अनेक साहित्यिक आयोजन होते रहते हैं, परंतु यह पहला अवसर है जब शहर के प्रमुख प्रबुद्धजन एक ही स्थान पर बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह आयोजन शहर की सांस्कृतिक गतिविधियों को और अधिक प्रोत्साहन देगा। कार्यक्रम का संचालन वीर रस के राष्ट्रीय कवि राकेश दांगी ने अपने दमदार अंदाज में किया। उन्होंने शारदे सरस्वती काली कल्याणी तू है, कर कल्याण मेरी लेखनी सुधार दे। चामुंडा रानी मेरा जीवन संवार दे। जैसी पंक्तियों के माध्यम से चामुंडा माता का आवाहन करते हुए वातावरण को भक्ति और ओज से भर दिया। कवयित्री प्रीति पांडेय ने हार कर भी जीत में जीवित रहेंगे, सांस बनकर प्रीत में जीवित रहेंगे पंक्तियाँ सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। देवास के ओज कवि देव कृष्ण व्यास ने रुको अभी लिखो नहीं इतिहास के लिये, एक पृष्ठ छोड़ दो सुभाष के लिये। पंक्तियाँ पढ़कर श्रोताओं के मन में राष्ट्रभक्ति का संचार किया। कवि सम्मेलन का शिखर क्षण प्रसिद्ध हास्य कवि जानी बैरागी का प्रस्तुतीकरण रहा। उन्होंने अपनी हास्य-व्यंग्य से भरपूर रचनाओं से सभागार में ठहाकों की गूंज भर दी। साथ ही, जिस दिन घर से बाहर बिटिया का पांव चला गया, उसी दिन अपने दादाजी की मूंछ का ताव चला गया। जैसी संवेदनशील पंक्तियों से परिवार और संस्कारों का मार्मिक चित्र भी प्रस्तुत किया। कवि सम्मेलन में पद्मश्री से सम्मानित कालूराम बामनिया, समाजसेवी राधेश्याम सोनी, कई प्रशासनिक अधिकारी, कलाव्योम फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक श्रीमाल तथा शहर के अनेक साहित्यप्रेमी एवं प्रबुद्धजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन कलाव्योम फाउंडेशन की सचिव अपर्णा भोसले ने किया।

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