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धर्म जीवन का उद्धारक मार्ग है- आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत

धर्म जीवन का उद्धारक मार्ग है- आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत 
देवास। सच्ची शुद्धता बाहरी नहीं बल्कि अंतःकरण की निर्मलता से प्राप्त होती है। सच्चा साधू वह है जिसका मन अहंकार रहित हो, जोे अपने विवेक से सही गलत का भेद कर आत्मा की उन्नति करता हो। धर्म ही जीवन का उद्धारक मार्ग है। उक्त प्रवचन आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने व्यक्त किये। आनंद मार्ग प्रचारक संघ देवास के भुक्ति प्रधान दीपसिंह तंवर ने बताया कि मार्ग विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन मलेशिया देश के प्रदेश पहंग के बेंतोंग शहर के बरजरिया हिल्स में 5 से 7 दिसम्बर तक संपन्न होगा। उक्त कार्यक्रम में अन्य देशों के साधक सहित भारत के मध्यप्रदेश से हेमेन्द्र निगम काकू, विद्याशंकर अवस्थी, सुभाष पांडे, उड़ीसा के डॉ श्यामसुंदर पाणिग्रही, दिल्ली के अजय कुमार भल्ला, तन्मय अरोड़ा, लता अरोड़ा सहित छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, फिलीपीन्स,मनीला, आदि  के साधक भाग लेे रहे हैं। कार्यक्रम में आचार्य नभातीतानंद अवधूत,आचार्य सवितानंद अवधूत,  आचार्य शुभनिर्यसानन्द अवधूत भी उपस्थित रहे।
एस एस मनीला आचार्य कृष्णकमलानन्द अवधूत ने बताया कि आज भक्ति के विषय पर पुरोधा प्रमुख ने कहा कि" ज्ञान, कर्म, भक्ति में सबसे श्रेष्ठ भक्ति होती है, जब तक परमात्मा के प्रति प्रेम नहीं होगा तब तक भक्ति नहीं जागेगी।और नहीं वह अखण्ड सत्ता के प्रति आकर्षित नहीं हो सकता।आनंद मार्ग की साधना राजाधिराज योग की साधना है,जिसे आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने दिया है।यही है भक्ति की पराकाष्ठा।
उक्त जानकारी हेमेन्द्र निगम काकू ने दी।


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