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कबीर वहां से शुरू होते हैं जहां मज़हब और संप्रदाय की सीमाएं खत्म होती है.... पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया

कबीर वहां से शुरू होते हैं जहां मज़हब और संप्रदाय की सीमाएं खत्म होती है.... पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया
देवास। विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर सदगुरु कबीर साहब के कर्म और भक्ति का संदेश विषय पर आधारित 508 वें कार्यक्रम में 15वीं शताब्दी के संत कबीर दास की शिक्षाओं को मजबूती और जन जागृति के लिए सामाजिक समरसता के आधुनिक ब्लूप्रिंट के रूप में आर जेएस पीडीएच के संस्थापक डॉ उदयकुमार मन्नाजी  वेबिनार का आयोजन किया गया।  देवास के कबीर लोक गायक दयाराम सारोलिया द्वारा आयोजित को ऑर्गेनाइज कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सर्वधर्म समभाव की भावनाओं का प्रचार प्रसार था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कबीर लोग गायक पद्मश्री  प्रहलाद सिंह टिपानिया थे। मुख्य वक्ता और कार्यक्रम के आयोजक दयाराम सारोलिया ने कबीर के कर्म सिद्धांत पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कर्म ही सर्वोच्च भक्ति है। और आध्यात्मिक शांति के लिए व्यवसायिक आत्मनिर्भरता भी आवश्यक है। सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए री पब्लिक डे 20 26 देवास के सदस्य दिनोदय पत्रिका के संपादक दयाराम मालवीय ने कहा कि अपने भीतर के राम को पहचाने और शक्तवत सकारात्मकता के मार्ग पर चले। पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया ने कहा कि कबीर साहब कहते हैं कि परमात्मा हमारे भीतर ही बसता है। कबीर वहां से शुरू होते हैं, जहां हमारे मजहब और संप्रदाय की सीमाएं खत्म होती है। उन्होंने लोगों से सकारात्मक आंदोलन को शब्दों से ज्यादा अंतरात्मा से जोड़ने का आह्वान किया। आरजेएस परिवार 25 दिसंबर को क्रिसमस पर और 28 दिसंबर को वीर बाल दिवस के उपलक्ष में भी कार्यक्रम आयोजित करेगा। राजकुमारी और मुस्कान सोलंकी ने कबीरदासजी के भजनों की प्रस्तुति दी। आभार हाईकोर्ट एडवोकेट इंदौर  कुलदीप सिंह सारोलिया ने माना।

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