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शासकीय महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन

शासकीय महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन
देवास। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग- वीर भारत न्यास, विश्व गीता प्रतिष्ठान एवं उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय देवास में आई.क्यू.ए.सी. के तत्वाधान में तथा गठित आयोजित समिति द्वारा 01 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक प्रतिनिधि मनीष पारिक रहे। सारस्वत अतिथि के रूप में साहित्य मनीषी राजकुमार चंदन ने मंच को गरिमा प्रदान की। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. एस.पी.एस.राणा ने की। डॉ. बी.एस.जाधव, डॉ. दीप्ति ढवले, डॉ. आर.के.मराठा भारतीय ज्ञान परम्परा प्रभारी डॉ. ममता झाला, डॉ.रेखा कौशल ने मंच साझा किया। शंखनाथ स्वस्तिवाचन के साथ मंचासीन विद्वतजन द्वारा दीप प्रज्जवलन कर मॉ सरस्वती एवं श्रीमद्भगवत गीता गं्रथ की पूजा अर्चना की गई। अतिथि परिचय एवं स्वागत् भाषण कार्यक्रम संयोजिका डॉ. ममता झाला द्वारा दिया गया। गीता जयंती आयोजन के संदर्भ मे डॉ. झाला ने कहा कि मोक्षदा एकादशी को मनाई जाने वाली गीता जयंती महाभारत युद्ध के कोलाहाल में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को धर्म-कर्म के ज्ञान हेतु दिये गये उपदेश है जो आज भी विभिन्न समस्याओं के कोलाहल भरे दौर में उतने ही प्रासंगिक है। गीता ग्रंथ मानव की हर समस्या का निदान बताता हैं। कार्यक्रम की अगली कड़ी में आचार्य उमेश कुमार पाण्डे प्रेरणागीत का गायनानुगायन किया गया। इसी श्रृंखला में गीता के 15वें अध्याय का सामूहिक अनुपठन किया गया। 15वं अध्याय की संक्षिप्त व्याख्या करते हुए डॉ. कोैशल ने कहा कि अनासक्ति से आध्यात्मिक सत्य की ओर ले जाने वाले इस अध्याय में भगवान ने सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड की संरचना को उद्घाटित किया है। साथ ही मनुष्य के जन्म के बाद पुर्नजन्म और विभिन्न योनियों, अवस्थाओं को समझाते हुए भक्ति भाव से परमात्मा से जुड़कर नश्वर संसार से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करने का ज्ञान प्रदान किया है।
मुख्य अतिथि मनीष पारिक ने कहा कि गीता गं्रंथ हमे जीवन जीने की शैली ओर अनुशासन सिखाता है। निष्काम कर्म की प्रेरणा देता है। हमे इसके संदेशों को जीवन मंे उतारना चाहिए। पॉच विश्व रिकार्ड प्राप्त श्री चंदन ने अपने उद्बोधन में कहा कि ’गीता ’ एक शब्द मात्र नही, श्लोकों का संग्रह मात्र नही, एक पवित्र गं्रथ मात्र नही अपितु सत्य और कर्म का शाश्वत संदेश है, जिसे जीवन में आत्मसात करने पर ही सूक्ष्मता से समझा जा सकता है। यह गीता ग्रंथ अतीत में भी प्रासंगिक था वर्तमान में भी हैं और भविष्य मंे भी सदैव रहेगा। अध्यक्षीय उदबोधन में प्राचार्य डॉ. एस.पी.एस.राणा ने कहा कि गीता एक संस्कार हैं अच्छे और बुरे कर्मो पर प्रकाश डालते हुए आपने कहा कि आत्मग्लानि का भाव, भावी जीवन को संवारता है और अपने कर्तव्यों को  कर्म निष्ठा से करने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर विश्व गीता प्रतिष्ठानम् के जितेन्द्र ़ित्रवेदी द्वारा प्रदत्त पुरूषोत्तम योग श्रीमद्भगवतगीता के 15वें अध्याय की 200 प्रतियों को महाविद्यालय स्टॉफ एवं विद्यार्थियों में वितरित किया गया। आयोजन हेतु गठित समिति सदस्यांे के सहयोग से कार्यक्रम सुचारू रूप से सम्पन्न हुआ। विद्यार्थियों ने गंभीरतापूर्वक कार्यक्रम में सहभागिता दर्ज की। इस अवसर पर डॉ. मधुकर ठोमरे, डॉ. रश्मि ठाकुर, डॉ. जरीना लोहावाला, डॉ. भारती कियावत, डॉ. विवेक अवस्थी, नीरज जैन, डॉ. मनोज मालवीय, डॉ. सत्यम सोनी, डॉ. संजय गाडगे, डॉ. राकेश कोटिया, डॉ. लता धुपकरिया, डॉ. शशि सोलंकी, डॉ. संजय सिंह बरोनिया, डॉ. प्रीति मालवीय, डॉ. संदीप नागर, डॉ. ललिता गौरे, डॉ. रजत राठौर, डॉ. हेमन्त मण्डलोई, डॉ. कैलाश यादव, डॉ. सीमा परमार, डॉ. अरूण कुशवंशी, डॉ. शकील खान, डॉ. सचिन दास, जितेन्द्र सिंह राजपूत, डॉ. माया ठाकुर, निहारिका व्यास, दीपक अटारिया, संजना सोनी आदि उपस्थित रहे। डॉ.लीना दुबे ने कार्यक्रम के प्रभावी संचालन के बीच बारम्बार गीता वाणी, वेद वाणी का जयघोष किया और अंत में सामूहिक मंत्र पुष्पाजंली अर्पित कर वैश्विक कल्याण की कामना की। डॉ. रेखा कौशल ने महर्षि वेद व्यास प्राचीन और अर्वाचिन संत मुनीगण, मंचासीन सम्मानीयजन एवं समस्त प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों के प्रति स्हृदयता से आभार व्यक्त किया।  

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