Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Recent Updates

6/recent/ticker-posts

कल्पसूत्र का हर शब्द मंत्र है, तंत्र है, यंत्र हैराग-द्वेष एवं रोग-दोष को हटाने की विराट शक्ति है इस ग्रंथ में - शुभवर्धना श्रीजी, जयवर्धना श्रीजी,,,

कल्पसूत्र का हर शब्द मंत्र है, तंत्र है, यंत्र है
राग-द्वेष एवं रोग-दोष को हटाने की विराट शक्ति है इस ग्रंथ में - शुभवर्धना श्रीजी, जयवर्धना श्रीजी
4 सितम्बर को मनाया जावेगा महावीर जन्म वाचन समारोह
देवास। हिंदु धर्म में जो महत्व गीता एवं रामायण का है, इस्लाम धर्म में जो महत्ता कुरान की है, ईसाई जगत में जो इज्जत बाईबल एवं सिक्ख समुदाय में जो गौरव गुरू ग्रंथ साहिब  का है। वहीं महत्व, मान सम्मान एवं गौरव जैन धर्म में महानग्रंथ कल्पसूत्र का है। वर्तमान कलयुग एवं विषमकाल में परमात्मा द्वारा बताया गया ज्ञान ही जीवन की शुद्धि, विशुद्धि एवं परमशुद्धि का आधार बन सकता है। कल्पसूत्र में इस संसार का समग्र ज्ञान, विज्ञान एवं निदान समाहित है। कल्प याने आचार है। साधु संतो एवं संसारी प्राणी के आचरण का संपूर्ण मार्गदर्शन इस ग्रंथ में समाहित है। इसी आचार के अनुरूप हमारे विचार बनते है। विचार एवं आचार दोनो परस्पर सापेक्ष गुण है। कल्पसूत्र ऐसी आलौकिक औषधि एवं रामबाण रसायन है जिसमें जीवन के राग-द्वेष एवं तन के रोग-दोष को नेस्त नाबूत करने की असीम शक्ति समाहित है।
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर पर कल्प सूत्र ग्रंथ की विस्तृत विवेचना करते हुए शुभवर्धना श्रीजी, जयवर्धना श्रीजी  ने कहा कि  कल्पसूत्र ग्रंथ की रचना आचार्य श्री भद्रबाहु स्वामी ने की एवं इसकी विषद व्याख्या श्री विनय विजयजी ने की। जिसने भी पूर्ण श्रद्धा, तन्मयता एवं एकाग्रता से जीवन में 21 बार इस ग्रंथ का श्रवण कर लिया उसका सातवे भव में मोक्ष निश्चित हो जाता है। महा ग्रंथ का हर एक शब्द मंत्र है, तंत्र है, यंत्र है। श्री कल्पसूत्र की कई अनोखी बातो की तरफ  ले जाते हुए आप ने कहा महाग्रंथ में उल्लेख है- सहधर्मी, रूपवान, निरोगी, अच्छे स्वप्नो का दर्शन, नीति में रूचि तथा कविता रचने का जिसको शौक है, वह स्वर्ग से आया है, स्वर्ग में जाएगा। दंभ से दूर, दया-दान, दमन में खुशी, दक्ष व सरल मनुष्य में से आया है फिर मनुष्य बनेगा। कपट, लोभ, आलसी तथा ज्यादा खाने वाला पशु में से आया है, पशु में जाएगा। अति कामी, द्वेषी, दुर्वचनी नरक से आया है, पुन  नरक में जाएगा। कल्पसूत्र सभी शास्त्रो में सिरमोर है। साधु के दस आचारो का वर्णन, भगवान महावीर स्वामी के पूर्व भवो का संपूर्ण विवरण इसमें समाहित है।
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि दोपहर में नवपद पूजन हुआ जिसका लाभ मांगीलाल छगनीराम जैन परिवार ने लिया। कल्पसूत्र स्थापित करने का लाभ विलास कुमार राजमल चौधरी परिवार ने  प्राप्त किया।  इस अवसर पर विकास जैन, सानिध्य जैन, राहिल जैन, यश जैन, अंकित जैन, सिद्धार्थ कटारिया, जय जैन, अंशुल जैन, आयुष चौधरी, प्रतीक चौधरी, सिद्धार्थ जैन, ऋषभ जैन, आदि उपस्थित थे।
आगामी कार्यक्रम
आगामी कार्यक्रम के अंतर्गत 4 सितम्बर बुधवार को भगवान महावीर का जन्म वाचन समारोह मनाया जाएगा। दोपहर 1.30 बजे से प्रारंभ होने वाले इस समारोह में चौदह स्वप्न एवं महावीर पलना जी को झुलाने का विशिष्ट आयोजन होगा। समाजजनों को केशरिया छापे लगाए जाएंगे तथा रात्रि जागरण का कार्यक्रम होगा।

Post a Comment

0 Comments

Join Our WhatsApp Group? for latest and breaking news updates...
Click here to join the group...