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आत्मा को साफ, जगत को माफ और प्रभु को याद करो- जिनसुंदर सुरीजी,,,12 मार्च को होगा फागुणी तेरस यात्रा का भव्य डिजिटल आयोजन,,,सात दिवसीय प्रवचन माला में जुटे हजारों गुरू भक्त

आत्मा को साफ, जगत को माफ और प्रभु को याद करो- जिनसुंदर सुरीजी,,,
12 मार्च को होगा फागुणी तेरस यात्रा का भव्य डिजिटल आयोजन,,,
सात दिवसीय प्रवचन माला में जुटे हजारों गुरू भक्त
देवास। प्रभु महावीर स्वामीजी से उनके भक्तों ने प्रश्न किया, प्रभु संसार में तत्व एवं सत्य क्या है। जवाब में प्रभु ने कहा कि तीन तत्व एवं सत्य पर यह संसार टिका हुआ है। प्रथम है वस्तु उत्पन्न होती है, द्वितीय है कुछ समय के लिये टिकी रहती है, तृतीय है अंतत उसका नाश होता है। इसी धुरी पर संसार के पहिये चल रहे है। जिस प्रकार महावीर ने तीन बातें बताई मैं भी आपको तीन बातें बताना चाहता हूं जो आपको इस संसार सागर से निश्चित पार ले जाएगी। प्रथम है आत्मा को साफ करो, द्वितीय जगत को माफ करो, तृतीय परमात्मा को याद करो। स्वार्थ, विश्वासघात, क्रोध, किसी को नीचे गिराना, कू्ररता, कठोरता, दुर्व्यवहार, हिंसात्मक आचरण आदि दुरूचार से आपकी आत्मा जो मैली हो चुकी है उसे साफ करना है। पश्चाताप और प्रायश्चित करके हम मैली आत्मा को साफ कर सकते हैं। पाप को स्वीकार करने वाला महान होता है। प्रभु का जिन शासन हमें आत्मा को साफ करने एवं उज्जवल बनाने के लिये ही मिला है। पूर्व जन्म में किसी व्यक्ति का हमने कुछ बिगाड़ा होगा इसीलिए वह मेरा आज बिगाड़ रहा है। इसमें उसकी गलती नहीं सब कुछ मेरे पूर्व कर्मो का दोष है। यह मानकर उसकी गलती को माफ करना है और अपनी आत्मा को उज्जवल निर्मल बनाना है। हमारे जीवन पर प्रति क्षण परमात्मा का वृहद उपकार है। हमारी जितनी भी शक्ति, समय, संपत्ति, सद्बुद्धि, शरीर आदि है सब कुछ प्रभु के चरणों में समर्पित करके हम हमारे उपकारी का उपकार चुकाने का प्रयास कर सकते है। इसके अतिरिक्त जिस किसी ने भी हमारे जीवन पर उपकार किया है उसके उपकार को हमेशा याद करना है भूलना नहीं है। मंदिर से भी अधिक महत्व उपाश्रय यानि आराधना भवन का होता है। क्योंकि यही वह स्थान है जहां सेे गुरूवाणी के द्वारा हम प्रभु एवं धर्म की और आकृष्ट होते हुए आगे बढ़ते है और हमारी मटमैली आत्मा को साफ करने का प्रयास करते हैं। हमें सद्मार्ग पर बढ़ने का उपदेश उपाश्रय आराधना भवन से ही प्राप्त होता है। यह बात विशाल धर्मसभा को उपदेशित करते हुए आचार्य श्री जिनसुंदर सुरीश्वरजी एवं धर्मबोधि सुरीश्वरजी ने श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर रामचंद्र सूरी आराधना भवन में कही। प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि 10 मार्च को पुष्य नक्षत्र के शुभ योग में आचार्य वीररत्न सामायिक मंडल का स्थापन हुआ। जिसके अंतर्गत पुरूष एवं महिला वर्ग द्वारा सामायिक करते हुए साधु जीवन का आचरण किया गया। 11 मार्च मंगलवार को प्रातः मेरे पार्श्व प्रभु मेरे घर आए कार्यक्रम का संगीतमय प्रतिमा वितरण आयोजन अहिंसा भवन पर होगा। 12 मार्च बुधवार को सुबह 6 बजे टेकरी स्थित श्री शत्रुंजयावतार आदेश्वर मंदिर पर फागणी तेरस यात्रा की जाएगी। तत्पश्चात 9.15 बजे से शत्रुंजय महातीर्थ की भव्य संगीतमय डिजीटल स्क्रीन के माध्यम सेे फागणी भाव यात्रा पूज्यश्री केे सानिध्य में की जाएगी। पाल साधर्मिक भक्ति का भी आयोजन होगा। प्रतिदिन रात्रि 8 बजे पुरूष वर्ग के लिये पूज्यश्री के प्रवचन हो रहे हैं।

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