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साध्वीजी तत्वरसा श्रीजी का नगर प्रवेश संपन्नचम्पापुरी वासुपूज्य धाम से मुनिसुव्रत स्वामी वीरमणि धाम तक निकली नगर प्रवेश यात्रा,,श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में होगा चातुर्मास ,,आलस्य ही आत्मा को परमात्मा बनने में अवरोध पैदा करता है-साध्वीजी

साध्वीजी तत्वरसा श्रीजी का नगर प्रवेश संपन्न
चम्पापुरी वासुपूज्य धाम से मुनिसुव्रत स्वामी वीरमणि धाम तक निकली नगर प्रवेश यात्रा,,

श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में होगा चातुर्मास ,,

आलस्य ही आत्मा को परमात्मा बनने में अवरोध पैदा करता है-साध्वीजी 
देवास। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर में चातुर्मास हेतु पदार्पण कर रहे साध्वीजी तत्वरसा श्रीजी के नगर प्रवेश की भव्य यात्रा आयोजित की गई। चम्पापुरी वासुपूज्य धाम से मुनिसुव्रत स्वामी वीरमणि धाम तक यह भव्य यात्रा निकाली गई। इस वर्ष साध्वीजी श्री तत्वरसा श्रीजी, तत्वश्रेया श्रीजी, तत्वसम्प्रज्ञा श्रीजी, तत्वश्रमणा श्रीजी आदि ठाणा चार का चातुर्मास संपन्न होने जा रहा है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन, महिला पुरूष उपस्थित रहे। प्रभु एवं गुरूदेव की जय जयकार के गगनभेदी नारों के साथ साध्वीजी की अगवानी एवं स्वागत किया गया। 
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि 1 जुलाई मंगलवार को सुबह 7.30 बजे चम्पापुरी धाम पंचशील नगर में नवकारशी के पश्चात नगर प्रवेश की भव्य यात्रा प्रारंभ हुई जो कि भ्रमण करते हुए श्री मुनिसुव्रत स्वामी वीरमणि धाम सिविल लाईन्स पर विशाल धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हुई। धर्मसभा को उपदेशित करते हुए साध्वीजी ने कहा कि आत्मसाधना करने में, धर्म ध्यान करने में एवं आत्मा को कल्याणमार्ग पर प्रशस्त करने वाली क्रियाओं में कभी भी प्रमाद यानी आलस्य मत करो। अर्थात संसार की सभी क्रियाएं करते हुए भी अपने आप को एवं अपनी शाश्वत आत्मा को मत भूलो। हमारी आत्मा किन उपायों से पुष्ट बनेगी उसका प्रतिपल ध्यान रखना होगा। उत्तराध्ययन सूत्र में प्रभु महावीर स्वामी ने भी अपने प्रधान शिष्य गौतम स्वामीजी को सम्बोधित करते हुए कहा है कि हे गौतम एक समय मात्र का भी प्रमाद आलस्य मत करो। प्रभु ने कभी भी खाने पीने, घूमने फिरने, भौतिक सम्पदा खड़ी करने या इंद्रियों के सुख भोगने में आलस्य नहीं करने की बात नहीं कही। प्रभुु ने तो आत्मकल्याण एवं धर्म आराधना में प्रतिरोध बनने वाले आलस्य प्रमाद को दूूर हटाने की बात कही है। क्योंकि आलस्य ही आत्मा को परमात्मा बनने में अवरोध पैदा करता है। जिस प्रकार घास के अग्रभाग पर ओस के जल का बिंदू चमकता है किंतुु उसकी चमक सूर्य की किरण पडने तक ही ठहरती है फिर सूख जाती है। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन अल्पकालिक है, हम सभी को प्रमाद का त्याग करकेे जीवन के प्रत्येक पल का सदकार्यो में सदुपयोग करना चाहिये क्योंकि जीवन क्षणिक है न जाने किस वक्त समाप्त हो जाएगा। 
आगामी आयोजन 
मुनिसुव्रत स्वामी वीरमणि उपाश्रय सिविल लाईन में चार दिवसीय प्रवचन श्रृंखला का भी शुभारंभ हुआ जो कि 4 जुलाई तक प्रतिदिन सुबह 9.15 बजेे प्रारंभ होगी। 6 जुलाई रविवार को पूज्यश्री का चातुर्मासिक प्रवेश होगा। 


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