शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, देवास में “ग्रीन टेक्नोलॉजीज़” इनोवेशन, अपॉर्च्युनिटीज़ एंड चैलेंजेस' विषय पर छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
देवास 28 अक्टूबर 2025 (शकील कादरी) शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, देवास में सोमवार 27 अक्टूबर से 01 नवम्बर 2025 तक अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा प्रायोजित एवं ATAL अकादमी के अंतर्गत एक छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम “ग्रीन टेक्नोलॉजीज़: इनोवेशन, अपॉर्च्युनिटीज़ एंड चैलेंजेस” विषय पर आधारित है।
कार्यक्रम का शुभारंभ सोमवार को सीईओ जिला पंचायत श्रीमती ज्योति शर्मा ने मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री शोभाराम सोलंकी एवं अपर कलेक्टर श्री संजीव जैन, प्राचार्य डॉ. सोनल भाटी, वरिष्ठ व्याख्याता श्रीमती शिवांगी मित्तल, वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. प्रियांक सुनहरे सहित अन्य संबंधित उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन समारोह 01 नवम्बर 2025 को (Valedictory Session) आयोजित किया जाएगा।
कार्यक्रम में बताया गया कि यह FDP एआईसीटीई (All India Council for Technical Education) की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य देशभर के तकनीकी शिक्षकों को नई प्रौद्योगिकियों, अनुसंधान प्रवृत्तियों और नवाचारों से अवगत कराना है। ATAL अकादमी के माध्यम से ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम देश के विभिन्न संस्थानों में आयोजित किए जाते हैं ताकि फैकल्टी सदस्य आधुनिक तकनीकी विषयों पर कौशल विकसित कर सकें। इस छह दिवसीय कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न राज्यों से शिक्षक एवं शोधकर्ता भाग ले रहे हैं। इसमें सस्टेनेबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग, वेस्ट मैनेजमेंट, सोलर टेक्नोलॉजी, और कार्बन फुटप्रिंट रिडक्शन जैसे विषयों पर विशेषज्ञ वक्ता अपने विचार साझा करेंगे।
कॉलेज की प्राचार्य एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सोनल भाटी ने बताया कि “ग्रीन टेक्नोलॉजी आज के समय का सबसे प्रासंगिक और इंटरडिसिप्लिनरी (बहु-विषयक) विषय है। यह केवल इंजीनियरिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण विज्ञान, रसायन, भौतिकी, प्रबंधन और सामाजिक विकास जैसे क्षेत्रों से भी जुड़ा हुआ है। बढ़ते प्रदूषण, ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए इस क्षेत्र में नवाचार अत्यंत आवश्यक हैं।” यह FDP प्रतिभागियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा क्योंकि इससे उन्हें हरित प्रौद्योगिकियों, सतत विकास, नवाचार और उद्योग से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी प्राप्त होगी। यह पहल शिक्षकों को विद्यार्थियों में पर्यावरण-अनुकूल सोच और तकनीकी नवाचार की भावना विकसित करने में सहायक होगी।

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