संत हमे सुमति शांति और सत्य का सहज ही अनुभव करा देते हैं..... सद्गुरु मंगल नाम साहेब
देवास। एक सह्रदय संत सबके सुख-सुविधाओं की बात पूछता है। संत ऐसे व्यक्ति परिवार को दुखों को संभालने की सामर्थ्य दे देता है। लेकिन एक दुष्ट आता है तो सबकी सुविधाओं को छीन ले जाता है। इसलिए लोग डाकुओं को दुष्टों को देख कर दरवाजा बंद कर लेते हैं। कि यह अपना सब कुछ छीन कर ले जाएगा। संत के आने से सुख बरसता है। सुविधाएं, सुमति और शांति आती है। संत से संवाद करने पर जिंदगी के पक्षधर खुल जाते हैं। डाकू सारे जीवन की जो संपदा जिसे हम आर्थिक स्थिति कहते हैं छीन कर ले जाता है। डाकू अपने सुख के लिए कितनी माता बहनों को विधवा कर बच्चों को अनाथ कर जाते हैं। संत और डाकू में एक ही अंतर है कि एक के आने से खुशी की बाहर आ जाती है तो एक के जाने से। हर एक आदमी संत पर अपनी संपदा लुटा देते हैं। संत सुमति, शांति, सत्य का सहज ही अनुभव करा देते हैं। यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने बालगढ़ स्थित चूना खदान सदगुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थली पर आयोजित गुरु शिष्य संवाद,गुरुवाणी पाठ में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि जो जीवन के झूठे स्वाद की तरफ भागने लगते हैं उसे होंश आ जाता है। फिर वह परमात्मा को उस सत्य स्वरूप को चाहे कितना भी कष्ट मिले वह प्राप्त कर लेता है। वह कष्ट को भी खुशी, खुशी झेल लेता है। क्योंकि संत से अनंत जन्मों की सुख सुविधाएं उपलब्ध हो जाती है। परमात्मा किसी स्वरूप में नहीं बसता न किसी विचार में बसता है। महल बना लिया शादी कर ली पर शांति नहीं मिलती। लेकिन संतों के विचारों से प्रभावित होकर लोग राजपाट महल सब छोड़कर चले जाते हैं। संतों के सानिध्य में हर परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता जागृत हो जाती है। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

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